नई दिल्ली। मेडिटेशन केवल मन के लिए ही नहीं, बल्कि हमारी बॉडी के लिए भी काफी लाभदायक है। मेडिटेशन यानी कि माइंडफुलनेस या ध्यान लगाना है। इस थेरेपी का इस्तेमाल करने से बच्चों में तनाव, भूख और वजन को कम करने में मदद मिलेगी। हाल में हुए एक शोध में यह खुलासा हुआ है। मोटापे और घबराहट से जूझ रहे बच्चों को ध्यान लगाने से फायदा हो सकता है।
जानें क्या है माइंडफुलनेस?
माइंडफुलनेस एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें ध्यान लगाने की क्रिया का उपयोग कर निजी जागरुकता को बढ़ाने और बीमारियों से संबंधित तनाव को दूर करने के लिए किया जाता है। ऐसे में दोनों आहार और माइंडफुलनेस का इलाज का इस्तेमाल कर मोटे बच्चों में वजन कम करने की प्रक्रिया को बेहतर किया जा सकता है।
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ऐसे किया गया है शोध
पत्रिका इंडोक्राइन कनेक्शन में प्रकाशित शोध में पाया गया कि मोटापे से पीड़ित जिन बच्चों को कम कैलोरी वाले आहार के साथ माइंडफुलनेस की थेरेपी दी गई। जिससे उनका वजन, भूख और तनाव उन बच्चों से ज्यादा घटा जो सिर्फ कम कैलोरी वाला आहार ले रहे थे।
शोधकर्ता मारडिया लोपेज ने माइंडफुलनेस आधारित थेरेपी का तनाव, भूख और वजन पर प्रभाव देखा
शोध के निष्कर्षों से यह पता चलता है कि माइंडफुलनेस में इतनी क्षमता है कि मोटे बच्चों को न सिर्फ वजन कम करने में मदद मिलेगी। बल्कि उन्हें उच्च रक्तचाप और मस्तिष्काघात के जोखिम से भी निजात मिलेगी। पूर्व के कई शोधों में दर्शाया गया कि तनाव और ज्यादा खाने के बीच मजबूत संबंध है। इस शोध में शोधकर्ता मारडिया लोपेज ने माइंडफुलनेस आधारित थेरेपी का तनाव, भूख और वजन पर प्रभाव देखा। शोध से पता चला है कि सीमित आहार लेने से बच्चों की घबराहट और चिंता में बढ़ोत्तरी हो सकती है, लेकिन सीमित आहार के साथ माइंडफुलनेस का अभ्यास करने से तनाव और वजन कम करने में मदद मिलेगी।
बचपन में होने वाला मोटापा कई बीमारियों जैसे दिल संबंधी बीमारियां और मधुमेह की बन सकता है वजह
बचपन में होने वाला मोटापा कई बीमारियों जैसे दिल संबंधी बीमारियां और मधुमेह की वजह बन सकता है। इसके अलावा बच्चों में तनाव और घबराहट की समस्या भी पनपती है। माइंडफुलनेस का तनाव और वजन से इतना मजबूत संबंध होने के बाद भी ज्यादातर इलाज में मनोवैज्ञानिकों कारकों को ध्यान में नहीं रखा जाता है।