असम में नवनियुक्त सीएम हिमंत बिस्व सरमा का एक बयान इन दिनों चर्चा में बना हुआ है, जिसमें वह पुलिस को खुली छूट देते नजर आ रहे हैं। राज्य के सभी पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों से बात करते हुए उन्होंने कहा- कोई अपराधी भागने की कोशिश करता है तो एनकाउंटर का पैटर्न अपनाएं।उन्होंने कहा- राज्य के भीतर हत्या, बलात्कार, मादक पदार्थ, किडनैपिंग के मामलों में तेजी से जांच करके छह महीने के भीतर आरोप पत्र दायर करें।
राज्य के भीतर अगर फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट आने में देरी की संभावना नजर आती है तो वह नमूनों को दूसरे राज्यों के फॉरेंसिक लैब भेंजे लेकिन जांच तेज करें।सीएम ने कहा- अगर आरोप पत्र जल्दी दायर किए जाएं तो लंबित मामलों में 50 फीसदी मामलों को जल्द ही खत्म किया जा सकता है।
विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, ‘राज्य में विगत दो महीनों के दौरान मुठभेड़ में एक दर्जन अपराधी मारे गए हैं। कर्बी आंगलोंग जिले में मारे गए अपराधियों में छह उग्रवादी संगठन डीएनएलए से जुड़े थे, जबकि दो का यूपीआरएफ से संबंध था। चार अन्य आरोपित धेमाजी, नलबाड़ी, शिवसागर व कर्बी आंगलोंग जिले में हुई मुठभेड़ों में मारे गए हैं।’
मुठभेड़ों में इजाफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने दावा किया कि असम पुलिस अपनी कमी को छिपाने और नई सरकार को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है। उन्होंने कहा कि जब अपराधी पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करते हैं, तो यह पुलिस की ढिलाई है। अपराधियों को अपराध दृश्य की पुनर्रचना के लिए ले जाया जाता है और वे भागने की कोशिश करते हैं। यह अब एक नियमित मामला बन गया है। ऐसा लगता है कि असम पुलिस क्रूर हो रही है।