Dry Ports

उत्तर प्रदेश में ‘ड्राई पोर्ट्स’ के विकास को बढ़ावा देगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) प्रदेश को लॉजिस्टिक हब बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह कई प्लेटफॉर्म पर इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि प्रदेश के कई जिलों में ऐसी क्षमता है कि वो लॉजिस्टिक का हब बन सकते हैं। मुख्यमंत्री की इसी मंशा के अनुरूप प्रदेश सरकार ने नई वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक नीति 2022 जारी की है। इस नीति में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक के साथ-साथ ड्राई पोर्ट्स (Dry Ports) के लिए भी निवेशकों को प्रोत्साहित किया गया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विभिन्न निर्यात क्लस्टरों से युक्त होने के साथ ही भूमि से घिरा हुआ राज्य है। ऐसे में समुद्री बंदरगाहों को निर्यात कार्गो के सुविधाजनक परिवहन के लिए प्रदेश में ड्राई पोर्ट्स (Dry Ports)  के विकास की काफी संभावनाएं हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए विदेश गई टीम योगी को कई देशों से इस क्षेत्र में निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। साथ ही तमाम घरेलू निवेशक भी ड्राई पोर्ट्स में निवेश को लेकर उत्साहित हैं।

आधुनिक सुविधाओं के लिए निवेश आकर्षित करने की योजना

पात्र ड्राई पोर्ट परियोजना का अभिप्राय अंतरदेशीय कंटेनर डिपो (OCD) एवं कंटेनर फ्रेट स्टेशन (CFS) से है, जिसको न्यूनतम 10 एकड़ भूमि में न्यूनतम 50 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश से विकसित किया गया हो तथा जिसमें इस प्रकार के स्थाई रूप से स्थापित (फिक्स्ड) अथवा अन्य इंस्टॉलेशंस, उपकरण, मशीनरी इत्यादि उपलब्ध हों, जो कस्टम्स कंट्रोल के तहत लदे हुए आयात या निर्यात कंटेनर्स की हैंडलिंग या निकासी तथा कस्टम बॉन्डेड अथवा नॉन-बॉन्डेड कार्गो के भंडारण की सुविधा से युक्त सेवाएं प्रदान करती हैं।

प्रदेश सरकार का लक्ष्य मौजूदा ड्राई पोर्ट्स (Dry Ports), अंतरदेशीय कंटेनर डिपो, माल ढुलाई स्टेशनों एवं रोड कॉरिडोर्स तक पहुंच के साथ उपयुक्त स्थानों पर लॉजिस्टिक्स टर्मिनल्स, 4-लेन और 6-लेन राजमार्गों के गुणवत्तापूर्ण नेटवर्क, इंटरलिंकिंग सड़कों आदि को सुदृढ़ करना है। इस नीति के माध्यम से प्रदेश सरकार द्वारा आधुनिक सुविधाओं से युक्त ड्राई पोर्ट्स के विकास हेतु निवेश आकर्षित करने की योजना है।

प्रदेश सरकार की ओर से मिलेंगी तमाम रियायतें

ड्राई पोर्ट्स के विकास के लिए प्रदेश सरकार कई तरह की रियायतें प्रदान करेगी। प्रदेश में आईसीडी, सीफीएस, एएफएस परियोजना स्थापित करने के लिए क्रय की गई या पट्टे पर ली गई भूमि (न्यूनतम 10 वर्ष की अवधि हेतु) पर स्टांप ड्यूटी में 100 प्रतिशत की दर से छूट प्रदान की जाएगी। इसी तरह भू उपयोग परिवर्तन चार्ज में 75 प्रतिशत की रियायत प्रदान की जाएगी तो विकास शुल्क में 75 प्रतिशत की छूट मिल सकेगी। साथ ही इन परियोजनाओं को 60 प्रतिशत तक ग्राउंड कवरेज की भी अनुमति दी जाएगी। हालांकि ये सभी प्रस्तावित छूट समतुल्य धनराशि की बैंक गारंटी जमा करने पर ही अनुमन्य होंगी।

इसके अतिरिक्त पात्र पूंजी निवेश पर 25 प्रतिशत की दर से कैपिटल सब्सिडी प्रदान की जाएगी। वहीं, नई परियोजनाओं या औद्योगिक इकाई को इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 10 वर्ष की अवधि के लिए 100 प्रतिशत की दर से छूट मिलेगी। इसके अलावा प्रत्येक परियोजना को 5 वर्ष तक प्रति वर्ष अधिकतम 50 प्रशिक्षुओं की सीमा के अधीन 6 माह तक 1000 रुपए प्रति प्रशिक्षु प्रति माह के मानदेय की प्रतिपूर्ति के रूप में कौशल विकास सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा। यदि ड्राई पोर्ट, एयर फ्रेट स्टेशन में पुलिस स्टेशन, चौकी बनाने की आवश्यक्ता पड़ती है तो इसकी स्थापना के लिए विकासकर्ता को संबंधित प्राधिकरण द्वार निशुल्क भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रदेश में लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर का हो रहा विकास

उत्तर प्रदेश में लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में मुरादाबाद रेल लिंक्ड संयुक्त घरेलू एवं एक्जिम टर्मिनल, रेल लिंक्ड प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल तथा कानपुर में इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी), दादरी टर्मिनल में आईसीडी कार्यरत है। राज्य को अंतरदेशीय जलमार्ग के करीब या किनारे विकसित किए जा रहे टर्मिनल्स तथा फ्रेट कॉरिडोर्स के करीब या किनारे मल्टी-मोडल टर्मिनलों का लाभ प्राप्त हो रहा है।

दादरी में एक मल्टी मोडल लॉजिस्टिक्स हब (एमएमएलएच) एवं बोराकी (ग्रेटर नोएडा में मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट हब (एमएमटीएच) भी विकसित किए जा रहे हैं, जिससे इस सेक्टर को और बढ़ावा मिलेगा। वाराणसी में 100 एकड़ क्षेत्र में भारत का प्रथम ‘फ्रेट विलेज’ विकसित किया जा रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के निर्यात केंद्रों को पूर्वी भारत के बंदरगाहों से जोड़ने वाला यह गांव इनबाउंड एवं आउटबाउंड कार्गो के लिए ट्रांस- शिपमेंट हब के रूप में कार्य करेगा।

लॉजिस्टिक में निवेश को तैयार हैं कई कंपनियां

उत्तर प्रदेश में लॉजिस्टिक सेक्टर में निवेश के लिए विदेश की कई कंपनियां इच्छा जता चुकी हैं। कई निवेशकों के साथ इसको लेकर एमओयू पर भी हस्ताक्षर हुए हैं। खासतौर पर यूएई के सर्राफ ग्रुप ने 1300 करोड़, हिंदुस्तान पोर्ट प्रा. लि. ने 200 करोड़ रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा अमेरिका के मोबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप ने 8200 करोड़, बेस्ट बे ट्रकिंग 1000 करोड़ और सिंगापुर के स्टार कंसोर्टियम प्रा. लि. ने 1000 करोड़ रुपए के निवेश से जुड़े एमओयू किए हैं।

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इसके साथ ही यूएई के डीपी वर्ल्ड ने भी लॉजिस्टिक और कॉर्गो के क्षेत्र में जॉइंट वेंचर स्थापित करने को लेकर निवेश पर सहमति जताई है। साथ ही उन्होंने कानपुर के करीब हाईवे और रेल कनेक्टिविटी वाली भूमि की भी मांग की है, ताकि बड़ा लॉजिस्टिक प्लांट स्थापित किया जा सके। जॉइंट वेंचर के तहत कंपनी को 2 हजार एकड़ भूमि की आवश्यक्ता होगी। इस सेक्टर में निवेश से उत्तर प्रदेश में हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे।

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