ज्यादा शुल्क लिया तो होगी कार्रवाई
सीएम योगी (Yogi Adityanath) ने मंगलवार को उच्च अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान कहा कि टेस्ट हो या ट्रीटमेंट, राज्य सरकार ने सभी के लिए शुल्क की दरें तय की हैं। इससे अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता। अगर कहीं नियत शुल्क से अधिक की वसूली की घटना हो तो तत्काल दोषियों के खिलाफ महामारी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। सभी जिलों में इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
यूपी में चार करोड़ से ज्यादा टेस्ट
सीएम ने कहा कि कोविड से लड़ाई में टेस्ट बहुत अहम है। जितना अधिक टेस्ट उतना ही प्रभावी नियंत्रण। उत्तर प्रदेश में अब तक चार करोड़ से अधिक टेस्ट हो चुके हैं। यह देश में किसी एक राज्य द्वारा किया गया सर्वाधिक टेस्ट हैं। सभी प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग क्षमता दोगुनी करने की कार्रवाई तेज की जाए. क्वालिटी टेस्टिंग सुनिश्चित कराएं।
कांट्रैक्ट ट्रेसिंग से टूटेगी चेन
कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को और बेहतर किए जाने की जरूरत है। आरआरटी की संख्या बढ़ाएं। इसमें आंगनबाड़ी/आशा कार्यकत्रियों को भी जोड़ा जाए। बिना ट्रेसिंग के हम कोविड पर प्रभावी नियंत्रण नहीं कर सकते।
कंट्रोल रूम पर नजर रखे सीएम ऑफिस
इंटोग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को सभी जिलों में प्रभावी बनाया जाए। आइसीसीसी के संपर्क नम्बर बेहतर ढंग से प्रचारित/प्रसारित किए जाएं। हर कंट्रोल रूम 24×7 अलर्ट मोड में रहे। लोगों की समस्याओं का निराकरण कराएं। मुख्य सचिव कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से इसकी मॉनिटरिंग की जाए।
दिन में दो बार बेड की जानकारी सार्वजनिक की जाए
सीएम योगी (Yogi Adityanath) ने कहा कि हर कोविड अस्पताल प्रत्येक दिन में दो बार अपने रिक्त बेड्स का विवरण सार्वजनिक करे। कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुमन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।
सीएम हेल्पलाइन से मरीजों को जाए फोन
होम आइसोलेशन में इलाजरत मरीजों से सीएम हेल्पलाइन 1076 के माध्यम से हर दिन संवाद बनाया जाए। उन्हें न्यूनतम एक सप्ताह की अवधि के लिए मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की जिलेवार समीक्षा की जाए। सीएमओ की जवाबदेही तय की जाए। दवाओं का कोई अभाव नहीं है। अस्पतालों में इलाजरत मरीजों से हर दिन संवाद बनाया जाए।
छोटे-बड़े सभी अस्पतालों को मिलेगी ऑक्सीजन
सभी जिलों के प्रत्येक छोटे-बड़े अस्पताल की स्थिति पर नजर रखी जाए जिसे भी जरूरत होगी, ऑक्सीजन जरूर मुहैया कराई जाए। ऑक्सीजन के सुचारु आपूर्ति-वितरण के लिए प्रदेश के सात संस्थाओं द्वारा ऑक्सीजन की ऑडिट भी कराई जा रही है।