लखनऊ: योगी सरकार 2 (Yogi government) में जैविक खेती की और जय-जय होगी। पहले कार्यकाल से ही जैविक खेती पर योगी सरकार का जोर रहा है। वजह, इस खेती (Farming) की खूबियां हैं। मसलन, कम लागत में अधिक उत्पादन। उत्पाद के बेहतर दाम। साथ में पर्यावरण (Environment) (जल, जंगल और जमीन) और लोगों की सेहत के लिए भी सुरक्षा।
जैविक खेती में वर्मी कंपोस्ट (केंचुआ खाद) गाय के गोबर, मूत्र और अन्य उत्पादों से बने उर्वरकों एवं कीट नाशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जैविक उत्पादों को वाजिब दाम दिलाना भी जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए जरूरी है। सरकार इन सभी पहलुओं पर पहले से ही काम कर रही है। योगी सरकार-2 में प्रदेश के लाखों किसानों के हित में इस प्रक्रिया को और तेज किया जाएगा। चुनाव के ठीक पहले भाजपा की ओर से जारी लोक कल्याण संकल्प पत्र 2022 में भी भाजपा ने जैविक खेती को विस्तार देने के लिए मिशन प्राकृतिक खेती शुरू करने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी है।
ट्रेनिंग और प्रशिक्षण पर खासा जोर
जैविक खेती के बाबत किसानों के प्रशिक्षण और प्रदर्शन पर सरकार का खासा जोर है। इसी क्रम में गत दो वर्षों में 225691 कृषकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।रही देख कर सीखने की बात तो अब तक प्रदेश में कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों द्वारा 83.185 एकड़ में प्राकृतिक खेती का डेमो (प्रदर्शन) कराया जा चुका है। इसके अलावा राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान रहमान खेड़ा में क्रमशः 10 और 1.20 एकड़ में प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन कराया गया है। जैविक खेती में गाय के गोबर, मूत्र सींग से बनी खाद और कीटनाशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लिहाजा प्रदेश के चार कृषि विश्वविद्यालयों और सभी 20 कृषि विज्ञान केंद्रों पर गो आधारित खेती का डिमांस्ट्रेशन कराया गया है।
उत्पादों का वाजिब दाम दिलाने के लिए हर मंडी में जैविक आउटलेट्स
जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए सबसे जरूरी है उत्पादन का वाजिब दाम मिलना। इसके लिए सरकार सभी मंडियों में अलग से जगह (आउटलेट्स) निर्धारित कर चुकी है। किसान गोबर, घरेलू कूड़े-कचरे और फसल अवशेषों से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर इनका फसलों में अधिक से अधिक प्रयोग करें इसके लिए सरकार प्रति इकाई वर्मी कम्पोस्ट के लिए 5000 रुपए का अनुदान देती है। इसके अलावा अगर कोई किसान जैविक खेती करना चाहता है तो सरकार की ओर से संबंधित किसान को प्रति एकड़, प्रति वर्ष की दर से क्रमशः 1800, 3000 और 2000 रुपए का अनुदान दिया जाता है।
इसी क्रम में जैविक बीज प्रबन्धन के लिए तीन साल में 500-500 रुपए की समान किश्तों में 1500 रुपये, हरी खाद के लिए पहले साल 1500 रुपये देती है। साथ ही बोटैनिकल एक्सट्रेक्ट, लिक्विड बायो फर्टीलाइजर, लिक्विड बायोपेस्टिड, प्राकृतिक पेस्ट कंट्रोल, फॉस्फेट ऑर्गेनिक रिच मैन्यूर, सीएचजी चार्जेज पर भी अनुदान देय। कुल मिलाकर अगर कोई किसान एक एकड़ में जैविक खेती करना चाहता है तो सरकार तीन वर्षों में अलग-अलग मदों में उसे कुल 16800 रुपए का अनुदान देती है।
केन्द्र पोषित परम्परागत कृषि विकास योजना एवं नमामि गंगे योजना के तहत जैविक जैविक खेती का क्रियान्वयन क्लस्टर अप्रोच (50 एकड) पर किया जा रहा है। इस योजना से गंगा किनारे के कानपुर नगर, रायबरेली, फतेहपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, मीरजापुर, वाराणसी, चंदौली, मुज्जफरनगर, हापुड़, मेरठ, अमरोहा, संभल, कन्नौज, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, चंदौली हैं। प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ नमामि गंगे परियोजना में आने वाले जिलों में भी प्राकृतिक खेती को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना, नमामि गंगे एवं जैविक खेती सहित 95680 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अब तक 4754 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं। सरकार इस पर 2021-22 तक 114.53 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इससे 1.75 लाख कृषक लाभान्वित हो चुके हैं।
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प्रदेश सरकार बीपीकेपी (भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति) योजना के तहत वर्ष 2021-22 में 35 जिलों में 3870380 हेक्टयर रकबे पर जैविक खेती कराने की योजना है। इस योजना के तहत चयनित जिलों के नाम हैं -आजमगढ़, सुल्तानपुर, गोंडा, कानपुर नगर, फिरोजाबाद, मथुरा, बदायूं, अमरोहा, बिजनौर, झांसी,जालौन, ललितपुर, बाँदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, मीरजापुर, गोरखपुर, कानपुर देहात, फरुर्खाबाद, रायबरेली, उन्नाव, पीलीभीत, देवरिया, आगरा, मथुरा, फतेहपुर, कौशांबी, बहराईच, श्रावस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, वाराणसी, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, चंदौली और सोनभद्र।