जिस तरह से हर व्यक्ति का अपना अलग भाग्य होता है उसी तरह से हर व्यक्ति के आराध्य देव भी अलग होते हैं। जिस व्यक्ति के जो आरध्यदेव हों उसी के अनुसार पूजन करने से व्यक्ति को ज्यादा लाभ की प्राप्ति होती है। “जैसे अगर किसी व्यक्ति के आराध्य देव कोई और हैं लेकिन वह व्यक्ति किसी और देवी-देवता का पूजन (worshiping) करता है तो उसका कोई नुकसान तो नहीं होता है लेकिन पूर्ण फल भी नहीं मिलता है।”
हस्त रेखाशास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की हथेली में हृदय रेखा पर त्रिशूल के आकार का चिह्न बनता है तो जातक को भगवान शिव की पूजा आराधना करने से लाभ प्राप्त होता है। शिव जी जीवन के सारें कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।
अगर जातक के हाथ में हृदयरेखा के अंत के स्थान से एक शाखा निकल कर गुरु पर्वत पर जाकर रुके तो ऐसे में व्यक्ति के लिए हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए, इससे संकटमोचन आपके जीवन में आने वाले सारे संकटों दूर करते हैं।
अगर किसी जातक की हथेली में सूर्य पर्वत दबा हुआ हो तो जातक को सूर्यनारायण की पूजा करने से लाभ मिलता है। इसलिए जातक को सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।
अगर किसी जातक की भाग्य रेखा को कई मोटी रेखाएं काट दें या फिर रेखा खंडित हो या भाग्य रेखा में किसी तरह को कोई भी दोष हो तो जातक को श्री हरि विष्णु की संगिनी देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए, ऐसे में जातक को मां लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से भी लाभ प्राप्त होता है।