सूर्यदेव (SuryaDev) को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है. उन्हें कलयुग में एकमात्र दृश्य देवता के तौर पर भी पहचाना जाता है. हिंदू धर्म में सूर्यदेव का विशेष महत्व है. सूर्य देव के नियमित पूजन से जीवन में शांति और खुशहाली आती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह नहाने के बाद रोजाना सूर्य देवता को जल चढ़ाने और रोज सूर्य नमस्कार करने से जीवन में बड़ा बदलाव होता है.
वैदिक काल में भी भगवान सूर्य नारायण की उपासना का उल्लेख किया गया है. धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है. महाभारत काल में रानी कुंती को सूर्य देव की कृपा से ही पहले पुत्र की प्राप्ति हुई थी. वहीं वेदों में सूर्य को जीवन, सेहत और शक्ति के देवता के तौर पर मान्यता है. सूर्य नारायण के सामने किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम भी कहा जाता है.
सूर्यदेव की पूजा का महत्व
मान्यता है कि रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से भाग्य उदय होता है. रविवार के दिन भगवान की उपासना करने के लिए सुबह-सुबह स्नान करके भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है. धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर पूजा करते हैं और फिर आरती उतारते हैं. कहते हैं कि जब सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं तो सभी अशुभ कार्य शुभ कार्यों में परिणित हो जाते हैं.
सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।