लखनऊ: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navaratri) में 9 दिनों तक माता रानी के भक्त उनके 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। पहले दिन दुर्गा मां के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन यानी रविवार को मां दुर्गा (Maa Durga) के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharya) की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ हैं- तप का आचरण करने वाली। इसलिए माता को तपस्चारिणी भी कहते हैं। इनके दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत शुभ फलदायी साबित होती है।
पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले या सफेद रंग का विशेष महत्व है, ऐसे में माता की पूजा पीले या सफेद वस्त्र पहनकर करें। पूजन में शक्कर, मिश्री या पंचामृत का का इस्तेमाल करना शुभ है। पूजा के दौरान ‘ओम् ऐं नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र/ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीनपयोधराम्
कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
ब्रह्माचारिणी माता की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता
ब्रह्मा जी के मन भाती हो
ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा
जिसको जपे सकल संसारा
जय गायत्री वेद की माता
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता
कमी कोई रहने न पाए
कोई भी दुख सहने न पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला ले कर
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर
आलस छोड़ करे गुणगाना
मां तुम उसको सुख पहुंचाना
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी
रखना लाज मेरी महतारी
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता…2