नई दिल्ली। श्री कृष्ण जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनायी जाएगी। हालांकि कहीं-कहीं 24 अगस्त को भी मनायी जा सकती है। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में जन्मे श्रीकृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस दिन व्रत करने से संसार में सुख शांति की प्राप्त होती है। साथ ही मनुष्य रोग रहित रहता है।
‘मंत्र- क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरे: परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः’ 108 बार करें जाप
कृष्ण भक्ति में लीन भक्त उनकी कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना भी करते हैं। कृष्ण की पूजा अर्चना करते हुए भक्त इस मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं- ‘मंत्र- क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरे: परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः’
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श्रीकृष्ण व उनकी पत्नी रुक्मणी की पूजा का भी विशेष महत्व
इस दिन श्रीकृष्ण व उनकी पत्नी रुक्मणी की पूजा का भी विशेष महत्व है। रुक्मणी राधा इतनी पूजी तो नहीं गईं पर क्या आपको पता है कि वह मां लक्ष्मी का अवतार थीं? रुक्मणी मां लक्ष्मी का अवतार थी। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी जी का पूजन भी अवश्य करना चाहिए। अगर आपके पास श्रीकृष्ण की कोई मूर्ति न हो या हर साल जन्माष्टमी के लिए आप कृष्ण भगवान की नई मूर्ति खरीदते हैं। तो इस बार यह ध्यान रखें कि मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी और कृष्ण के चरणों को स्पर्श करती हुई मां लक्ष्मी भी मौजूद हों।
जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान कृष्ण का केसर मिश्रित दूध से करें अभिषेक
जीवन में सुख समृद्धि बनाए रखने या पाने के लिए जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान कृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। ऐसा करने से आपके जीवन में ठहराव आएगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। अभिषेक करने के पश्चात् मंत्र जाप करना न भूलें।