देहरादून। टीबी, तपेदिक यानी क्षय जैसे संक्रमण रोग से मुक्ति पाने के लिए उत्तराखंड को और शिद्दत से लड़ाई लड़नी होगी। पिछले कुछ सालों से टीबी रोगियों की संख्या घट बढ़ रही है। वर्तमान में प्रदेश में करीब 20 हजार रोगी चिह्नित किए गए हैं। यह तब है, जबकि कई रोगी चिह्नित ही नहीं हो पाए हैं।
World TB Day
केंद्र सरकार 2025 तक तपेदिक मुक्त भारत (World TB Day) बनाने में जुटी है। इस लक्ष्य से अभी उत्तराखंड हम कदम नहीं हो पाया है। राज्य में तपेदिक के मामले बढ़ रहे हैं और लक्ष्य अधिसूचना के हिसाब से कम रोगी चिह्नित किए जा रहे हैं। आर्थिक सर्वे के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2020 में प्रति लाख पर 275 रोगियों का अनुमान था। यह लक्ष्य अधिसूचना भी थी।
उत्तराखंड : 80 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी दे रहे हैं TET की परीक्षा
इसकी तुलना में प्रति लाख की जनसंख्या पर 176 रोगी चिह्नित किए गए। वर्ष 2017 में करीब 22 हजार रोगी चिह्नित किए गए थे और 2018 में यह संख्या करीब 28 हजार पाई गई थी। वर्ष 2019 में भी यह संख्या 20 हजार से अधिक ही पाई गई थी।
इलाज के दौरान भरण पोषण का कार्यक्रम भी जारी
टीबी रोगियों को चिह्नित करने और उन्हें इलाज के दौरान भोजन पोषण सहायता राशि कार्यक्रम भी जारी है। इसके तहत मरीजों को प्रत्येक माह पांच सौ रुपये के हिसाब से भुगतान बैंक खाते में होना है। निजी डॉक्टरों को टीबी मरीजों की जानकारी सीएमओ और जिला क्षय रोग अधिकारी को देनी है। निक्षय पोर्टल पर भी मरीज का विवरण देना है। टीबी रोगी चिह्नित करने पर पांच सौ रुपये और इलाज पूरा करने पर पांच सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।