नई दिल्ली। अगर हम लोग समय-समय पर अपने किडनी की जांच कराते रहेंगे, तो किडनी की बीमारी की आशंका बेहद कम हो जाती है। बता दें कि देश में किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं किडनी प्रत्यारोपण कराने के बाद भी कुछ मरीजों की तकलीफ कम होने के बजाए बढ़ती जाती है।
किडनी प्रत्यारोपण के बाद भी मरीज का जीवन घिरा रहता है संक्रमण से
विश्व किडनी दिवस पर एम्स के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एसके अग्रवाल ने बताया कि कुछ केस ऐसे भी हैं, जिनमें प्रत्यारोपण के बाद रोगी को सीएनवी और बीके वायरस जकड़ लेता है। इसके कारण प्रत्यारोपण के बाद भी मरीज का जीवन संक्रमण से घिरा रहता है। तो वहीं सफदरजंग अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु वर्मा ने बताया कि हमारे शरीर में किडनी का विशेष महत्व है। हमें इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए लेकिन बदलती जीवनशैली इसे नुकसान पहुंचा रही है।
कोरोना वायरस: कनाडा से लखनऊ आई महिला डॉक्टर में संक्रमण के लक्षण, मरीजों की संख्या 68
वर्ष 2040 तक आकस्मिक मौत का पांचवां सबसे बड़ा कारण बन सकती है किडनी की परेशानी
जिन परिवारों में किडनी की समस्या रही है, उनके 35 वर्ष या इससे अधिक के लोगों को हर साल अपनी जांच करवानी चाहिए। इसका सबसे बेहतर उपचार समय रहते रोकथाम ही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार दुनिया में इस समय करीब 85 करोड़ लोग किडनी की समस्या से पीड़ित हैं। देश में भी करीब 10 फीसदी लोगों में किडनी की समस्या है। यदि समय रहते लोग अपनी जीवनशैली में सुधार नहीं करेंगे तो वर्ष 2040 तक किडनी की परेशानी आकस्मिक मौत का पांचवां सबसे बड़ा कारण बन सकती है।
किडनी हेल्थ फॉर एवरी वन एवेरीवेयर फ्रॉम प्रिवेंशन टू डिटेंशन एंड एक्यूटेबल एक्सेस टू केअर थीम
उन्होंने बताया कि किडनी दिवस पर लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है। इस बार किडनी हेल्थ फॉर एवरी वन एवेरीवेयर फ्रॉम प्रिवेंशन टू डिटेंशन एंड एक्यूटेबल एक्सेस टू केअर थीम के साथ दुनिया भर में ये दिवस मनाया जाएगा।