गौर हो कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने और पृथ्वी को बचाने के संकल्प के साथ हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी। हर साल पृथ्वी दिवस अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार पृथ्वी दिवस 2021 के लिए ‘हमारी पृथ्वी को पुनर्स्थापित करें’ थीम रखा गया है।
वहीं, विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्टीट कर प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं दी है।
उन्होंने ट्टीट कर लिखा है, ‘विश्व पृथ्वी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आइये, हम सब साथ मिलकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं और उसे प्रदूषण मुक्त बनाएं। सभी लोग जल बचाकर, पॉलिथीन को छोड़कर और अधिक से अधिक पेड़ लगाकर प्रकृति को हरा-भरा बनाने का संकल्प लें।’
उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग के चलते जैव विविधता में बदलाव देखने को मिल रहा है। बीते कई महीनों से सूबे में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं. जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ है। वनाग्नि में हजारों हेक्टेयर बहुमूल्य वन संपदा जलकर राख हो चुकी है जबकि, वन्य जीवों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। वन्यजीवों के निवाला से लेकर आशियाना तक छीन चुका है।
वहीं, जानकारों की मानें तो वनाग्नि से हवा में कार्बन की मात्रा भी बढ़ गई है जिसका असर सीधे पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इस बार अप्रैल महीने में भी कहीं बर्फबारी हुई तो कई जंगल जलते रहे जबकि, बीते सात फरवरी को चमोली के तपोवन क्षेत्र के रैणी गांव में जल सैलाब ने भारी तबाही मचाई थी। पर्यावरणविद भी इसे ग्लोबल वार्मिंग का असर बता रहे हैं।