लखनऊ। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए0के0 शर्मा (AK Sharma) के कुशल निर्देशन में प्रदेश के नगरीय निकायों को वैश्विक शहर के रूप में विकसित किया जा रहा। नगरों की साफ-सफाई व्यवस्था को पुख्ता कर, चौराहों, फुटपाथों, पार्कों का शुशोभन किया जा रहा। साथ ही नगरीय जीवन का श्रेष्ठ और उत्तम बनाने के लिए बेहतरीन व्यवस्था के साथ प्रदूषणमुक्त वातावरण के लिए पर्यावरण सुरक्षा हेतु भी प्रयास किये जा रहे। इस उद्देश्य से विश्व मृदा दिवस ( World Soil Day) के अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन नगरीय द्वारा आम जनमानस को जागरूक करने के लिए मृदा संरक्षण एवं होम कम्पोस्टिंग (Soil Conservation and Home Composting) पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।
राज्य मिशन निदेशालय के सभागर से वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस कार्यशाला में रमा त्यागी, अध्यक्ष हॉर्टिकल्चर सोसाइटी, रविन्द्र काबरा एवं संजीव त्रिपाठी, अर्चना त्रिपाठी ने होम कम्पोस्टिंग के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वातावरण को शुद्ध रखने के लिए धरती माँ को जहरीले रसायन से दूर रखना होगा। इसके लिए हमें अपने घर के कचरे को होम कम्पोस्टिंग के माध्यम से जैविक खाद के रूप में परिवर्तित करना होगा। कार्यशाला में बताया गया कि हम किचन गार्डन में स्वयं से बनायी गयी खाद से अपने घर में ही सब्जी उगा सकते हैं। अपने घरेलू कचरे का सही प्रबंधन कर जैविक खाद (Organic Fertilizer) का इस्तेमाल कर जैविक सब्जियां भी उगा सकते हैं। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के साथ अपने रसोईघर को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकते हैं।
कार्यशाला में बताया गया कि जैविक खाद बनाने के लिए ऐसे कचरे का उपयोग करें, जो सड़ गल जाता हो, जैसे सब्जियों के छिलके, फल के छिलके, खराब सब्जियां, घर से निकलने वाली दाल, बेसन, आटा आदि इनमें शामिल हैं। कचरे में प्लास्टिक, कांच व लकड़ी इत्यादि सामान की मिलावट न होने दें। जिस कचरे से जैविक खाद बनाना है, उसे छोटे टुकड़ों मे काटकर गड्ढे, ड्रम या बैग में डाल दें।
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कचरे के छोटे टुकड़े डालने से यह जल्दी सड़ जाता है और जैविक खाद के रूप में परिवर्तित होते में ज्यादा समय नही लगता। कचरे की परत लगाते समय ट्राइकोडर्मा और वेस्ट डीकंपोजर का छिड़काव ऊपर से कर सकते हैं, जिससे खाद जल्दी बनती है। गोबर का घोल उपलब्ध होने पर उसका भी छिड़काव कर सकते हैं।
कचरे में नमी को बनाकर रखें, नमी कम होते ही उस पर पानी का छिड़काव करें। इस प्रक्रिया को अपनाने से खाद 03 से 04 माह मे बनकर तैयार हो जाती है। इस खाद को जैविक सब्जियों में उपयोग किया जा सकता है।