मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम तीन पार्टी साथ आना चाहते हैं, लेकिन हमें वक़्त नहीं दिया गया। हमने 48 घंटे मांगे थे, लेकिन राज्यपाल ने हमें ये वक्त नहीं दिया। हमने कहा था कि एक सरकार बनाने के लिए चर्चा की ज़रुरत है और एनसीपी-कांग्रेस ने भी आपस में चर्चा के लिए वक़्त मांगा है। हमने सिर्फ 48 घंटे मांगे थे, लेकिन राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की और अब हमने 6 महीने का वक़्त दिया है।
एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस साथ मिलकर कर रहे हैं कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम
उद्धव ने आगे कहा कि एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस साथ मिलकर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले बीजेपी के साथ थे, लेकिन अब अलग विचारधाराओं के साथ काम करने के लिए हमें थोड़े समय की ज़रूरत है। उद्धव ने कहा कि बीजेपी ने भी चंद्रबाबू नायडू और रामविलास पासवान जैसे अन्य विचारधारा के लोगों के साथ कम किया है। हम ऐसा करने वाले अकेले नहीं हैं। बीजेपी- शिवसेना ढाई-ढाई साल सीएम पर सहमत हुए थे और इसके बिना उनसे कोई समझौता नहीं हो सकता।
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हिंदुत्व का मतलब सिर्फ राम मंदिर बनाना नहीं
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि हर बार बीजेपी ने जब भी हमसे संपर्क किया तो उन्होंने नई-नई शर्तें रखीं और और बातें की। ऐसे में उनसे और बात करने का कोई मतलब नहीं रह गया है। उद्धव ने बीजेपी पर हमला किया कि राम मंदिर बनाने का क्या फायदा, जब आप एक राम भक्त की तरह अपने किए वादे पर कायम नहीं रह सकते। हिंदुत्व का मतलब सिर्फ राम मंदिर बनाना नहीं है।
राष्ट्रपति शासन के खिलाफ नहीं करेंगे दायर याचिका
केंद्र से अरविंद सावंत के इस्तीफे की उद्धव ठाकरे ने तारीफ की। ठाकरे ने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी और हमारे बीच कई मुद्दों पर बातचीत होनी है और इस पर चर्चा शुरू भी हो गई है। अब हम राष्ट्रपति शासन के खिलाफ याचिका दायर नहीं करेंगे। राज्यपाल ने हमें सरकार बनाने के लिए 6 महीने का वक़्त दे दिया है, हम उसमें काम करेंगे।
कश्मीर में महबूबा और बिहार में नीतीश के साथ कैसे सरकार बन गई?
शिवसेना प्रमुख उद्धव ने कहा कि मेरी कल से पहले एनसीपी-कांग्रेस से कोई चर्चा नहीं हो रही थी, कल मैंने पहली बार उन्हें फोन कर पूछा कि अगर महाराष्ट्र में कुछ नया हो सकता है तो क्या उसके लिए कोई संभावना है? मैं बीजेपी से जानना चाहता हूं कि कश्मीर में महबूबा और बिहार में नीतीश कुमार के साथ उनकी सरकार कैसे बन गई? उन्होंने कहा कि लोकसभा से पहले भी मैं अलग जा रहा था, मैंने उनकी भावना का सम्मान किया। तब पूरे देश में चल रहा था कि उनकी 200 के आस-पास सीटें आएंगी, हमने ऐसे अंधकार में उनका साथ दिया था।