लखनऊ डेस्क। महिलाओं के अस्तित्व और सम्मान को बचाने के लिए राजधानी में ‘अस्तित्व’ नाम से विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है। आज समाज में हर दिन बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में दोषियों को कडी सजा होने के लिए प्रयास करने की अपेक्षा पुलिस साधा एफआइआर प्रविष्ट करने में भी टालमटोल करती है।
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आपको बता दें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में वे बताती हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती महिलाओं के प्रति पुरुषों का रवैया है और विशेष रूप से उनका, जो प्रभावशाली लोग हैं और उच्च पदों पर आसीन हैं। वहीँ “चाहे घरेलू हिंसा हो, दहेज़ हो, बलात्कार हो, इन अत्याचारों से पीड़ित हर महिला को सबसे पहले पुलिस के उदासीन, संवेदनहीन और निष्ठुर रवैये से जूझना पड़ता है। और यह अत्यंत डरावनी स्थिति है। अपने स्तर पर मैं खुद इसे महसूस करती हूँ और उसके विरुद्ध मुझे मोर्चा खोलना पड़ता है।
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जानकारी के मुताबिक पिछले तीन महीनों में ज्यादती और लैगिंग अपराधों से जुड़े 15 से ज्यादा मामलों में कोर्ट के फैसले आए। इनमें 10 में सजा सुनाई गई। तीन में महिला के बयान बदलने से आरोपी बरी हो गए। दो मामलों के आरोपी सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए। प्राचीन काल में भारत में एक आदर्श राज्यव्यवस्था थी। सभी को धर्मशिक्षा दी जाती थी।