लखनऊ डेस्क। एक महिला है, जिसके आठ हाथ हैं। एक में बेलन, एक में बस्ता, एक में ऑफिस की फाइल। इस प्रकार हर हाथ में कुछ-न-कुछ थामे वह खड़ी है। ऑफिस की जिम्मेदारी, घर का काम, बच्चों की परवरिश और न जानें क्या-क्या। लेकिन इन सबके बीच आपने खुद के लिए क्या किया? बस, तनाव ही तो झेला, क्योंकि काम और निजी जिंदगी के बीच आप संतुलन स्थापित नहीं कर पाई हैं।
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आपको बता दें महिलाओं का कार्यक्षेत्र भी यहां दो हिस्सों में बंट जाता है, ऑफिस और घर। दोनों ही जगह उनसे सौ प्रतिशत प्रदर्शन की उम्मीद रखी जाती है। ऐसे में निजी जीवन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। समय रेत की तरह सरक जाता है और अगले दिन का सूरज फिर से उसी नई शुरुआत की ओर इशारा करने लगता है। कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन न बना पाने के चलते अकसर महिलाएं तनावग्रस्त भी रहती हैं। इसके अपने आपको खुद ही कुछ कदम उठाने होंगे।
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जानकारी के मुताबिक महिला दिवस जैसे मौकों पर। काम तो पुरुष भी करते हैं, पर उनके लिए ऐसी कोई तस्वीर क्यों नहीं बनी? जवाब हम सभी के पास है। पुरुष कलछी उठा लें, तो वो उनका शौक होता है, लेकिन महिलाओं के लिए ये एक बड़ी जिम्मेदारी है। देखा जाए तो हमारे समाज में पुरुष के मुकाबले महिलाओं से ज्यादा उम्मीदें होती हैं। अगर वह बाहर का काम संभाल रहीं है, तो भी घर की जिम्मेदारी पूरी तरह उसी के कंधों पर डाल दी जाती है।