बेंगलुरु। भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर लिलिमा मिंज ने कहा कि अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने की क्षमता उनकी टीम में है। लिलिमा पिछले कुछ वर्षों से भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा हैं।
उन्होंने अब तक कुल 150 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले हैं। उनका मानना है कि टीम ओलंपिक के लिए तैयारी कर रही है। ओलंपिक का आयोजन पहले इस साल जुलाई में होना था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे अगले साल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
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लिलिमा ने कहा कि हमारी टीम में टोक्यो में पदक जीतने की क्षमता है। 2013 में मेरे टीम से जुड़ने के बाद मैंने टीम में काफी परिवर्तन देखा है। मेरे ख्याल से पहले टीम में विश्वास की कमी थी, लेकिन अब हम विश्व की किसी भी टीम के खिलाफ खेलने के लिए तैयार हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमने जैसी सफलता हासिल की है। उसके लिए टीम ने काफी मेहनत की है, लेकिन इसका श्रेय हॉकी इंडिया को जाता है, जिन्होंने हमें सभी जरुरी सुविधा और बेहतरीन कोच दिए।
मिडफील्डर ने कहा कि जब मैं स्कूल में थी तो राउरकेला पंपोश स्पोटर्स हॉस्टल ने हॉकी खिलाड़ियों के लिए ट्रायल आयोजित किए थे। जो इस बारे में जानते थे वह वहां गए, लेकिन मुझे इस बारे में नहीं पता था और मैं स्कूल में ही थी। जब मैं जा रही थी तो जो कोच ट्रायल लेने वाले थे उन्होंने मुझे चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कहा।
लिलिमा ने कहा कि मैंने ट्रायल में भाग लिया। इसके बाद मुझे अभ्यास के लिए चयनित किया गया। हॉस्टल में रहकर पांच-छह वर्ष तक तकनीक सीखने के बाद 2011 में मेरा चयन जूनियर राष्ट्रीय शिविर के लिए हुआ। राउरकेला पंपोश स्पोटर्स हॉस्टल ट्रायल ने मेरी जिंदगी बदल दी।
26 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि जब मैंने हॉकी खेलना शुरु किया तो हम उस तरह खेलते थे। जहां टीम में पांच फॉरवर्ड खिलाड़ी होते थे और मैं उनमें से एक थी, लेकिन कुछ समय बाद कोच ने मेरे सहनशीलता को देखते हुए मुझे मिडफील्ड में भेजा। इस स्थान पर खेलना काफी मजेदार है क्योंकि मिडफील्डर मैच के दौरान फ़रवर्ड और डिफेंडर का सहयोग करता है।