देहरादून। उत्तराखंड का जोशीमठ (Joshimath) इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। जोशीमठ में हो रहे भू धसाव (Landslide) के चलते सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं। मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने कहा कि जोशीमठ की धारण क्षमता की अध्ययन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने बताया कि राज्य सरकार, प्रदेश का आपदा प्रबंधन समेत कई विभाग बड़ी ही गंभीरता से जोशीमठ में हुए भू धसाव का अलग अलग नजरियों से अध्ययन कर रहे हैं। जोशीमठ की धारण क्षमता पर भी अध्ययन किया जा रहा है ताकि इसका असली कारण का पता लगाया जा सके। जोशीमठ की धारण क्षमता कितनी है यानि जोशीमठ कितना भार झेल सकता है। उन्होंने ऐसी भी आशंकाएं जताई कि कहीं ऐसा ना हो कि जोशीमठ अपनी धारण क्षमता से अधिक भार झेल रहा हो।
जोशीमठ में हो रहे लगातार भू धसाव के चलते प्रदेश का वाडिया इंस्टिट्यूट, आईआईटी, एनआईटी, जीआईएस जैसे अलग अलग विभाग जोशीमठ को भू धसाव जैसी गंभीर आपदा से निजात दिलाने के लिए काम कर रहे हैं तो प्रदेश का आपदा विभाग भी हर एक पहलू से खासा चौकन्ना नज़र आ रहा है।
आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ के मौजूदा हालातों पर कहा है कि पानी के रिसाव के स्रोत का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। हालांकि बीते दिनों भू-वैज्ञानिकों ने अलग अलग स्रोतों से बह रहे पानी के सैंपल्स भी लिए हैं। मतलब पानी के ’दस्तखत” टनल से रिसाव की हकीकत बयान कर देंगे।
मुख्य सचिव ने जोशीमठ भूधसाव क्षेत्र का किया स्थलीय निरीक्षण
आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने ये भी बताया कि लोगों को जल्द ही बेहतर घर मुहैया कराने होंगे इसके लिए घरों के नए डिजाइन की जिम्मेदारी सीबीआरआई को सौंपी गई है।