बिजनेस डेस्क. प्याज की तरह आलू की कीमतों में भी लगातार उछाल होता दिखाई दे रहा है. कोलकाता, पश्चिम बंगाल के व्यापारियों का कहना है कि उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही है कि आलू के दाम आखिर क्यूँ बढ़ रहे है. व्यापारियों का कहना है कि राज्य के शीत भंडार गृहों में आलू का पर्याप्त भंडार मौजूद है ऐसे में आलू की कीमतों में उछाल का क्या कारण है. साथ ही व्यापारियों ने कहा की केंद्र ने भूटान से आलू के लाइसेंस-मुक्त आयात की अनुमति भी दे दी है तब ऐसी परिस्थितियां बनने का कोई नजर नहीं आ रहा है.
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कोलकाता के खुदरा बाजारों में आलू की ज्योति किस्म का दाम 40 रुपये प्रति किलो से अधिक हो गया है। वहीं चंद्रमुखी किस्म 45 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेची जा रही है।
व्यापारियों ने कहा कि राज्य में आलू की कीमतों में ऐसा उछाल करीब एक दशक पहले देखने को मिला था। पश्चिम बंगाल शीत भंडार गृह संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि आलू की 59 लाख टन की कुल क्षमता में से 26-27 प्रतिशत उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि स्टॉक का यह स्तर सामान्य है और पिछले वर्षों की तरह है। संकट की कोई वजह नहीं है। हम कीमतों में वृद्धि की वजह नहीं जान पा रहे हैं।
शीत भंडार गृह के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि आलू कीमतों में उछाल के लिए अन्य राज्यों को निर्यात, बड़े कॉरपोरेट द्वारा खरीदारी और जमाखोरी को जिम्मेदार बताया जा रहा है। एक व्यापारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने भूटान से बिना लाइसेंस आलू का आयात करने की अनुमति दे दी है। 30,000 टन आलू जल्द आने की उम्मीद है। आंशिक रूप से नियमों में ढील देते हुए सरकार ने 30 अक्टूबर को भूटान से अगले साल 31 जनवरी तक आलू के लाइसेंस मुक्त आयात की अनुमति दी थी।