Site icon News Ganj

जानें क्यों बांधते है कलावा, क्या है इसका महत्व

कलावा (Kalawa ) जिसे आमतौर पर मौली भी कहा जाता है। लाल और पीले रंग का ये धागा हिंदू धर्म में खासा महत्व रखता है। सनातन धर्म में  किसी भी धार्मिक कार्य को शुरू करने से पहले ही हाथ की कलाई पर कलावा (Kalawa ) बांधने की परंपरा है। सिर्फ हाथ की कलाई पर ही नहीं बल्कि किसी भी  नई वस्तु को खरीदने या नई चीज  को घर पर लाने के बाद उसमें भी कलावा बांधा जाता है। आखिरकार इसके पीछे कारण क्या है, क्यों सूत का धागा इतना पवित्र और इतना महत्वपूर्ण माना जाता है आज हम इसी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

कहते हैं कलावा बांधने की परंपरा काफी प्राचीन जिसकी शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी। जिसके बाद से लेकर आज तक मौली बांधने की परंपरा हिंदू धर्म में निहीत है।

माना जाता है कि यह कोई धागा भर नहीं होता बल्कि यह तो रक्षा सूत्र है। जिस की कलाई में बनने के बाद जीवन में आने वाले तमाम तरह के साथ दूर हो जाते हैं और तमाम तरह की परेशानियों से यह मौली मनुष्य की रक्षा करती है।

मान्यता है कि कलावा बांधने से ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों की कृपा प्राप्त की जा सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं किससे धार्मिक में ही नहीं बल्कि मौली वैज्ञानिक रूप से भी अति महत्वपूर्ण है।

दरअसल माना जाता है कि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है क्योंकि शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली न सी कलाई से होकर गुजरती हैं और कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। इससे तीन तरह के दोषों यानि वात, पित्त और कफ से छुटकारा मिलता है। साथ ही कलावा बांधने से ब्लडप्रेशर, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से बचा जा सकता है।

सिर्फ यही नहीं बल्कि कलाई में लाल रंग का कलावा पहनने से मंगल ग्रह को मजबूती मिलती है। मंगल ग्रह का शुभ रंग लाल है। वहीं पीले रंग का कलावा बृहस्पति को मजबूत करता है।

Exit mobile version