जानें पूजा में अक्षत चढ़ानें का महत्व

32 0

अलग-अलग धर्मों के लोग अपने भगवान या इष्ट देव की पूजा भी अलग-अलग विधान से करते हैं। हिन्दू पुराणों  में सभी देवी देवताओं की पूजा करने की विधियां भी अलग बताई गई हैं, लेकिन लगभग हर देवी देवता की पूजा में अक्षत (Akshat) या चावल (Rice) ज़रूर चढ़ाया जाता है।

हिन्दू धर्म में चावल या अक्षत (Akshat) चढ़ाने की परम्परा सदियों पुरानी है, जो आज तक निरंतर चली आ रही है। कई हिन्दू पुराणों में पूजा में चावल चढ़ाने का उल्लेख मिलता है।

हिन्दू धर्म में चावल का पूजा में उपयोग शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानते हैं पूजा में चावल या अक्षत (Akshat) चढ़ाने से क्या लाभ होते हैं और इनका क्या महत्व है।

सबसे शुद्ध अनाज

चावल को सबसे शुद्ध अनाज माना जाता है क्योंकि ये धान के अंदर बंद होता है, और कोई पशु-पक्षी इसको झूठा नहीं कर पाते। हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान चावल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि यदि पूजा में कोई सामग्री न हो तो चावल उसकी कमी पूरी कर देता है।

ध्यान रखने योग्य बातें

जब भी पूजा की जाती है तो भगवान को अर्पित करने वाला चावल हमेशा साबुत होना चाहिए। टूटे चावल से भगवान की पूजा नहीं की जाती। अक्षत को सभी अन्न में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

चावल का रंग सफेद होने के कारण इसे शांति का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यता यह भी है कि धरती पर सबसे पहले अक्षत या चावल की खेती ही की गई थी। इसीलिए भी चावल को पहला अन्न मानकर भगवान को अर्पित किया जाता है। हिन्दू धर्म में कोई न कोई चीज़ किसी न किसी भगवान को चढ़ाना निषेध माना जाता है, लेकिन अक्षत ही एक ऐसी खाद्य सामग्री है जो हर देवी देवता को चढ़ाया जा सकता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार

हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में अन्न और हवन का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अन्न से हुए हवन से भगवान संतुष्ट होते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान को अन्न अर्पित करने से पितृ भी तृप्त होते हैं, और ऐसा करने से भगवान तो प्रसन्न होते ही हैं साथ ही साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कहा जाता है कि जो व्यक्ति अक्षत को कुमकुम में मिलाकर भगवान को अर्पित करता है, उसकी पूजा और संकल्प जल्द ही फलीभूत होती है। अन्य मान्यता के अनुसार घर में माता अन्नपूर्णा को चावल के ढ़ेर में स्थापित किया जाए तो घर में कभी धन और वैभव की कमी नहीं होती।

भगवान शंकर को भी शिवलिंग पर चावल अर्पित करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों को सौभाग्य प्रदान करते हैं।

Related Post