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असम चुनाव : अपने प्रत्याशियों को कांग्रेसी राज्य में क्यों भेज रहे हैं अजमल बदरुद्दीन

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असम। देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) अब समाप्त होने को हैं, चार राज्यों में तो हो भी गए हैं लेकिन पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अभी चुनाव जारी है। इस बार के चुनाव में लोगों की सबसे ज्यादा नजर बंगाल और असम के चुनाव पर टिकी हुई है। जहां बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी (TMC) बीजेपी (BJP) से सीधे टक्कर ले रही है। वहीं असम में सत्तारूढ़ बीजेपी को कांग्रेस गठबंधन से टक्कर मिल रही है।

असम में कांग्रेस (Congress) के साथ इस बार बदरुद्दीन अजमल (Badruddin Ajmal) की पार्टी AIUDF चुनाव लड़ रही है। असम (Assam) में इस बार दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। इसलिए हर राजनीतिक दल अपने जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरे जी जान से जुटा हुआ है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) से विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान भेजने की बात पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि इसका जवाब हेमंत बिस्व सरमा और सर्बानंद सोनोवाल से मांगना चाहिए। सुरजेवाला के इस बयान का साफ मतलब निकलता है कि कहीं ना कहीं बीजेपी के यह दोनों दिग्गज चुनाव परिणाम से पहले ही कांग्रेस को डरा रहे हैं।

असम में बीजेपी की स्थिति देख कर कांग्रेस और उसके सहयोगी दल घबराए हुए हैं और उन्हें पूरा यकीन है कि अगर बीजेपी कुछ सीटों से पीछे रही तो वह हमारे विधायक तोड़ कर असम में फिर से सरकार बना लेगी। यही वजह है कि रिजल्ट आने से पहल ही कांग्रेस अपने और अपने सहयोगी दल AIUDF के विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान, जहां कांग्रेस की सरकार है शिफ्ट कर रही है।

क्यों कर रही है प्रत्याशियों को शिफ्ट

कांग्रेस और AIUDF का अपने विधायक प्रत्याशियों को असम से निकाल कर राजस्थान शिफ्ट करने के पीछे बड़ी वजह है। दरअसल , देश का इतिहास रहा है कि केंद्र का सत्ता में रहने वाली पार्टी कोई ना कोई तिकड़म भिड़ा कर सरकार बना लेती है। यानि की विपक्षी पार्टियों के विधायकों को तोड़ लेती है। कांग्रेस और AIUDF उसी वजह से डरे हुए हैं और रिजल्ट से पहले ही अपने विधायक प्रत्याशियों को एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है।

इसके साथ गोवा, पुडुचेरी, कर्नाटक भी इसी लिस्ट में शामिल हैं। राजस्थान और महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का पहले से सचेत रहने के चलते सरकार बच गई। कांग्रेस इसीलिए इस बार असम में कोई चान्स नहीं लेना चाहती, क्योंकि उसे पता है कि अगर सब कुछ सही रहा था तो उसकी स्थिति असम में इस बार सरकार बनाने की हो सकती है। दरअसल असम में सीएए के मुद्दे को उठा कर और AIUDF जैसे दल को अपने साथ कर के कांग्रेस ने वहां अपनी स्थिति पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत कर ली है।

पुराने कांग्रेसी रहे हेमंत बिस्व सरमा से है खतरा

असम में बीजेपी को खड़ा करने वाले दो ही बड़े नेता हैं, एक मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और दूसरे कांग्रेस से बीजेपी में आए हेमंत बिस्व सरमा। असम में सरमा को बीजेपी का असली रणनीतिकार कहा जाता है। इसके साथ ही वह दशकों से कांग्रेस में रहे हैं तो उनकी कांग्रेस के नेताओं में अच्छी पकड़ भी है।

इसीलिए जब पत्रकारों ने कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला से विधायक प्रत्याशियों को राजस्थान भेजने की बात पर सवाल किया तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि इसका जवाब वह हेमंत बिस्व सरमा और सर्बानंद सोनोवाल से मांगे।  सुरजेवाला के इस बयान का साफ मतलब निकलता है कि कहीं ना कहीं बीजेपी के यह दोनों दिग्गज चुनाव परिणाम से पहले ही कांग्रेस को डरा रहे हैं।

जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल में ठहरे प्रत्याशी

इस वक्त देश में कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित जगह राजस्थान ही है, क्योंकि वहां अशोक गहलोत की सरकार है। यहां की राजधानी जयपुर में एक होटल है ‘होटल फेयरमॉन्ट’ कांग्रेस के लिए यह होटल अभेद्य किला है जहां उसके विधायक प्रत्याशी सुरक्षित रहेंगे। राजस्थान कांग्रेस में जब बगावत हुई थी तब भी कंग्रेस के विधायकों को इसी होटल में रखा गया था। यही वजह है कि कांग्रेस और AIUDF अपने विधायक प्रत्याशियों को इसी होटल में रख रहे हैं।

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