कोलकाता । पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को एक और झटका लगा है। एनआईए ने उनके करीबी माने जाने वाले छत्रधर महतो (TMC Leader Chhatradhar Mahato) को गिरफ्तार कर लिया। 2009 में माकपा नेता प्रबीर महतो की हत्या के मामले में यह कार्रवाई की गई है। महतो को कोर्ट ने दो दिन के लिए एनआईए की हिरासत में सौंपा है। उन पर भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस को हाईजैक करने का भी आरोप है।
आरोप है कि छत्रधर महतो (TMC Leader Chhatradhar Mahato) ने अपने साथियों के साथ गोलीबारी करके इस ट्रेन को कब्जाने की कोशिश की थी। बता दें कि शनिवार देर रात तीन बजे छत्रधर महतो (TMC Leader Chhatradhar Mahato) को उनके लालगढ़ स्थित घर से गिरफ्तार किया गया है। महतो को ममता बनर्जी का दूत भी कहा जाता है। इस विधानसभा चुनाव में महतो टीएमसी के लिए लगातार चुनाव प्रचार कर रहे थे।
आदिवासी इलाकों में महतो की अच्छी पकड़
बंगाल के आदिवासी इलाकों में महतो की इतनी अच्छी पकड़ है कि 2016 विधानसभा चुनाव में जेल में रहते हुए महतो ने टीएमसी को यहां से जीत दिला दी थी। बता दें कि महतो ममता बनर्जी के कोर समिति के सदस्य भी हैं। महतो को पहले भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन जेल से छूटने के बाद उन्हें टीएमसी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।
पिछले साल छत्रधर महतो (TMC Leader Chhatradhar Mahato) ने माओवादी पार्टी का दामन छो़ड़कर तृणमूल कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया था। बता दें कि लालगढ़ आंदोलन के दौरान ममता बनर्जी ने नेता छत्रधर महतो के साथ मंच साझा किया था, उस वक्त ममता बनर्जी पर आरोप लगाया गया था कि वो माओवादियों का समर्थन ले रही हैं।
पिछले साल छत्रधर महतो (TMC Leader Chhatradhar Mahato) ने माओवादी पार्टी का दामन छो़ड़कर तृणमूल कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया था। बता दें कि लालगढ़ आंदोलन के दौरान ममता बनर्जी ने नेता छत्रधर महतो के साथ मंच साझा किया था, उस वक्त ममता बनर्जी पर आरोप लगाया गया था कि वो माओवादियों का समर्थन ले रही हैं।
10 साल बाद पिछले साल जेल से छूटे थे महतो
छत्रधर महतो (TMC Leader Chhatradhar Mahato) पिछले साल फरवरी में ही जेल से छूटे थे। 10 साल तक वो जेल में रहे। जेल से छूटने के बाद टीएमसी ने महतो को जिला समिति में शामिल कर लिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए को भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस अपहरण मामले की जांच करने का आदेश दिया था। 2009 में इस ट्रेन का अपहरण हुआ था और इसका आरोप पीसीएपीए पर लगाया गया था। जो माओवादी इस घटना में शामिल थे, वो महतो की रिहाई की मांग करते रहे।