नई दिल्ली। वर्तमान जीवन शैली में काम के तनाव के चलते अब अधिकतर लोगों में हार्ट अटैक की समस्या देखने में आ रही है। सर्दियों में अक्सर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है, लेकिन कई ऐसे भी हैं। जो हार्ट अटैक के बाद बच भी जाते हैं। बचने के बाद कई हार्ट अटैक के मरीज रोज की तरह सामान्य जीवन जीने लगते हैं ,लेकिन वो इस बात से अनजान रहते हैं कि हार्ट अटैक का उनकी मसल्स पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है। वह काफी कमजोर भी हो जाती हैं। कई बार इसकी वजह से काफी तकलीफ का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन कुछ समय पहले हुए एक शोध में यह बात सामने आई कि इन खतरों से बचना संभव है।
लखनऊ की यादें आज भी संजोकर है रखी, शकुंतला के लिए हिंदी है जीवनशैली
इस सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया के बेकर हार्ट ऐंड डायबीटीज इंस्टिट्यूट ने शोध किया। उनके मुताबिक़ विटामिन ई में ऐंटी-ऑक्सिडेंट और ऐंटी-इनफ्लेमेटरी तत्व होते हैं जो हार्ट अटैक के बाद भी मरीज की मांसपेशियों को नुकसान नहीं पहुंचने देते हैं।
हार्ट अटैक के मरीजों पर विटामिन ई का प्रभाव पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों पर शोध की। इसके तहत चूहों को विटामिन ई के ही एक प्रकार ‘अल्फा टोकोफेरोल’ की डोज दी गई। शोध में पता चला कि विटामिन ई की डोज देने के बाद चूहों का हार्ट पहले से बेहतर तरीके से काम कर रहा था। इससे वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि ठीक इसी तरह यह इंसानों के लिए भी फायदेमंद होगा। इस रिसर्च में एक बात और सामने आई है कि हार्ट अटैक की समस्या से परेशान मरीजों को कैल्शियम के सप्लीमेंट्स लेने से परहेज करना चाहिए। दरअसल इससे हार्ट अटैक का रिस्क काफी बढ़ जाता है।