नई दिल्ली। 16 दिसंबर 1971 का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए क्योंकि 1971 में इसी दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाते हुए नए बांग्लादेश बनवा दिया था। सिर्फ 13 दिनों की जंग में पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। 48 साल बाद भी भारत इसे बड़े ही गर्व के साथ विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
1971 का यह युद्ध होता ही नहीं अगर पाकिस्तान अपनी मूर्खता न दिखा देता। 3 दिसंबर को इंदिरा गांधी पश्चिम बंगाल में एक जनसभा को संबोधित कर रहीं थीं। इसी दौरान शाम 5.40 के करीब पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पठानकोट, क्षीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा में वायुसेना हवाई अड्डों पर बम बरसा दिया। युद्ध के पूर्वानुमान के कारण भारत उस समय अपने विमानों को बंकर में रखते थे। जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन जब इंदिरा वापस लौटीं तो उन्होंने तुरंत सेना के अफसरों और कैबिनेट के साथ मीटिंग की।
इसी शाम इंदिरा गांधी ने रेडियो से देश के नाम संदेश दिया कि यह वायु हमले पाकिस्तान की ओर से भारत को खुली चुनौती है। तीन दिसंबर की रात को ही भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई कर दी। इसी प्रकार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया है। युद्ध के तहत इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को ढाका की तरफ कूच करने का हुक्म दे दिया और भारतीय वायुसेना ने पश्चिमी पकिस्तान के अहम ठिकानों और हवाई अड्डों पर बम बरसाने शुरू कर दिये।
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4 दिसंबर, 1971 को ऑपरेशन ट्राईडेंट भारत ने शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में समुद्र की और से पाकिस्तानी नौसेना को टक्कर दी। दूसरी तरफ पश्चिमी पाकिस्तान की सेना का भी मुकाबला किया। भारतीय नौसेना ने 5 दिसंबर, 1971 को कराची बंदरगाह पर बमबारी कर पाकिस्तानी नौसेना मुख्यालय को तबाह कर दिया था। इसी समय इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को एक नया राष्ट्र बांग्लादेश के रूप में बनाने का एलान कर दिया था यानी अब बांग्लादेश एक नया राष्ट्र होगा। अब वो पकिस्तान का हिस्सा नहीं बल्कि एक स्वतंत्र राष्ट्र होगा।
14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश डिकोड किया। इस संदेश में इसी दिन 11 बजे ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक बैठक का जिक्र था। भारतीय वायु सेना के मिग विमानों ने गवर्नमेंट हाउस पर तय समय पर बम गिरा दिया। जिसके बाद गवर्नर मलिक ने अपना इस्तीफा दे दिया। इस हमले से पकिस्तान हिल गया और जनरल नियाजी ने युद्ध विराम का प्रस्ताव भेज दिया। परिणामस्वरूप 16 दिसंबर 1971 को दोपहर के तकरीबन 2:30 बजे सरेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई । इस प्रकार 16 दिसंबर, 1971 को बांग्लादेश का एक नए राष्ट्र के रूप में जन्म हुआ और पूर्वी पाकिस्तान, पाकिस्तान से आजाद हो गया।
पाक ने किया आत्मसमर्पण 16 दिसंबर की सुबह जनरल जैकब को मानेकशॉ का एक मैसेज मिला। इसमें कहा गया कि आत्मसमर्पण के लिए वह बिना कोई देरी किए ढाका पहुंचे। उस समय पाकिस्तान के लेफ्टीनेंट जनरल एएके नियाजी के साथ करीब 26400 सैनिक थे वहीं भारतीय सेना के सिर्फ 3000 थे। फिर भी भारत ने बताया कि उसके पास पाकिस्तान से ज्यादा सेना है। अगर युद्ध हुआ तो वह हार जाएगा। जिसके बाद ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तान के ले. जनरल एएके नियाजी ने आत्मसमर्पण के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।
यह खबर जैसे ही इंदिरा ने सदन में दी पूरा सदन हर्ष से झूम उठा। दुनिया के नक्शे पर क्या प्रभाव पड़ा इस आत्म समर्पण के बाद पूर्वी पाकिस्तान पाकिस्तान का क्षेत्र नहीं रहा और एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश बन गया। 2 जुलाई 1972 को भारत-पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिसके बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों की खातिर बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश मान लिया। जिसके बाद दुनिया के नक्शे पर एक और देश आ गया।