केंद्र सरकार की धार्मिक पर्यटन और सामरिक रणनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण चारधाम प्रोजेक्ट ऑलवेदर रोड अपने उद्देश्यों को फिलहाल पूरा नहीं कर पा रही है। केंद्र की ओर से इसे किसी भी कीमत पर जल्द से जल्द पूरा किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन जल्दबाजी में किए जा रहे यही प्रयास, अब परियोजना ही नहीं लोगों के लिए भी मुसीबत का कारण बनते जा रहे हैं। ऑलवेदर रोड के बड़े हिस्से में डेंजर जोन चिह्नित किए गए हैं। कार्यदायी संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ऑलवेदर रोड के कई हिस्से बनने के साथ ही दरक रहे हैं तो कहीं चट्टानों का सही ढंग से कटान न किए जाने के कारण वह बारिशों में भूस्खलन के रूप में सड़क पर आ जा रहे हैं। बोल्डरों (बड़े-बड़े पत्थर) के गिरने का सिलसिला भी जारी है। ऐसे में इन सड़कों पर यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है। प्रदेश में खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते नदियों के उफान पर आने और भूस्खलन के बीच ऑलवेदर रोड के कई हिस्से लगातार दरक रहे हैं।
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चारधाम ऑलवेदर रोड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसकी शुरूआत 2016 में हुई थी। जैसा कि नाम से जाहिर है कि यहां बनने वाली सड़कों को हर मौसम के हिसाब से बनाया जाएगा। इस परियोजना के तहत करीब 900 किमी लंबी सड़क को चौड़ा किया जा रहा है। यह सड़क केदारनाथ, बदरीनाथ, युमनोत्री और गंगोत्री के साथ ही टनकपुर-पिथौरागढ़ की कनेक्टिविटी वाल सड़क भी है।