उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) मुख्यालय के साहसिक खेल विभाग में कार्यरत सल्मोड़ा, पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) निवासी पर्वतारोही शीतल (25) के नेतृत्व में पांच सदस्यीय भारतीय दल ने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस (5642 मीटर) पर तिरंगा फहराकर देश को गौरवान्वित किया है। इस अभियान दल में क्लाइम्बिंग बियोंड द समिट्स (सीबीटीएस) के चार और सदस्य भी शामिल थे।
एवरेस्ट विजेता और सीबीटीएस के संस्थापक योगेश गर्ब्याल ने बताया कि शीतल चाहती थी कि स्वतंत्रता दिवस के दिन माउंट एलब्रुस को फतह किया जाए। वहीं, शीतल ने बताया कि 15 अगस्त को आरोहण करने के उद्देश्य से टीम ने प्लान किया था। कोविड महामारी के कारण फ्लाइट रद्द होने के कारण टीम तीन दिन देरी से मास्को पहुंची। 13 अगस्त को 3600 मीटर पर अपना बैस कैंप बनाया। 14 अगस्त की रात को वह आरोहण के लिए निकले।
15 अगस्त को करीब एक बजे एलब्रुस चोटी पर तिरंगा फहराकर आजादी का जश्न मनाया। 48 घंटे में बैस कैंप से आरोहण करना मुश्किल था बहुत कम पर्वतारोही ही ऐसा कर पाते हैं। एलब्रुस जाने से पहले टीम ने उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में पर्याप्त ट्रेनिंग की थी। और इसी का नतीजा था की टीम रिकॉर्ड समय पर आरोहण कर पाई। शीतल के नाम कंचनजंघा और अन्नपूर्णा चोटी को फतह करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोही होने का रिकॉर्ड भी है।
सीबीटीएस के संस्थापक योगेश गर्ब्याल ने बताया कि टीम में शामिल एसडीआरएफ (उत्तराखंड पुलिस) के आरक्षी राजेंद्र नाथ ने भी यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचा है। राजेंद नाथ ऐसा करने वाले उत्तराखंड पुलिस के पहले जवान हैं।
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रूस-जार्जिया सीमा पर स्थित माउंट एलब्रुस को फतह करने वाली टीम में राजस्थान निवासी जुड़वा भाई तपन देव सिंह और तरुण देव सिंह भी थे। वे यूरोप की इस चोटी को फतह करने वाले भारत के पहले जुड़वा भाई बने हैं। टीम के चौथे सदस्य लद्दाख से जिगमित थरचिन हैं, जिन्होंने इसी साल माउंट एवरेस्ट को फतह किया था। वह केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के पहले युवा बने हैं, जिन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी को फतह किया है।