भारतीय आजादी के आंदोलन में एक युवा महिला ने खुफिया रेडियो सर्विस की शुरुआत की थी। जो भारत की पहली खुफिया रेडियो के रूप में काम किया जिंका नाम उषा मेहता था।
इस महिला ने 78 साल पहले रेडियो की सीक्रेट सर्विस देना शुरू किया था। यह सर्विस इन्होने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शुरू की थी। उस समय वह कालेज में पढ़ाई करने जाती थी इसी दौरान उन्होने यह खुफिया काम शुरू किया था।
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उषा मेहता आजादी हासिल करने के लिए महात्मा गांधी के अहिंसा के रास्ते से प्रभावित थीं। उन्होंने बापू के बताए रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता आंदोलन में खुद को झोंक दिया था। 9 अगस्त 1942 को बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान से भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई। महात्मा गांधी के साथ कांग्रेस के सारे बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए। उषा मेहता समेत कांग्रेस के कुछ छोटे नेता गिरफ्तार होने से बच गए थे।
9 अगस्त 1942 की शाम कांग्रेस के कुछ युवा समर्थकों ने बॉम्बे में बैठक की। इन लोगों का विचार था कि भारत छोड़ो आंदोलन की आग धीमी न पड़ने पाए, इसके लिए कुछ कदम उठाने जरूरी थे।
इस बैठक में रेडियो की समझ रखने वाले उषा मेहता जैसे युवा भी थे। उषा मेहता उस जमाने में रेडियो की समझ रखती थीं, उन्हें मालूम था कि इसे तकनीकी तौर पर कैसे शुरू किया जा सकता है
अंग्रेजों के खिलाफ खुफिया रेडियो सर्विस शुरू करने वालों में उषा मेहता के साथ थे बाबूभाई ठक्कर, विट्ठलदास झवेरी और नरीमन अबराबाद प्रिंटर। प्रिंटर इंग्लैंड से रेडियो की टेकनोलॉजी सीखकर आए थे।
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उषा मेहता खुफिया रेडियो सर्विस की एनआउंसर बनाई गईं। पुराने ट्रांसमीटर को जोड़ तोड़कर इस्तेमाल में लाए जाने लायक बनाया गया और इस तरह से अंग्रेजों के खिलाफ सीक्रेट रेडियो सर्विस कांग्रेस रेडियो की शुरुआत हुई।
14 अगस्त 1942 को उषा मेहता ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक खुफिया ठिकाने पर कांग्रेस रेडियो की स्थापना की। इस खुफिया रेडियो सर्विस का पहला प्रसारण 27 अगस्त 1942 को हुआ।
पहले प्रसारण में उषा मेहता ने धीमी आवाज में रेडियो पर घोषणा की- ये कांग्रेस रेडियो की सेवा है, जो 42.34 मीटर पर भारत के किसी हिस्से से प्रसारित की जा रही है।
उषा मेहता उन दिनों को याद करते हुए एक बार बोली थीं कि वो उनकी जिंदगी के सबसे बेहतरीन दिन थे। उन्हें बस एक ही बात का अफसोस रहा कि एक टेक्निशियन की गद्दारी की वजह से सिर्फ 3 महीने में कांग्रेस रेडियो खत्म हो गया।
उषा मेहता का जन्म 25 मार्च 1920 को गुजरात में सूरत के पास सारस नाम के छोटे से गांव मे हुआ था। उषा मेहता के पिता ब्रिटिश हुकूमत में जज के पद पर कार्यरत थे। पिता के रिटायर होने के बाद उषा अपने परिवार के साथ बॉम्बे शिफ्ट हो गईं।
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बॉम्बे में ही उन्होंने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया। उषा मेहता भारत की रेडियो वूमेन के नाम से मशहूर हुईं। 80 साल की उम्र में 11 अगस्त 2000 को उन्होंने आखिरी सांस ली।