इरम यूनानी मेडिकल काॅलेज एंड हाॅस्पिटल की ओर से शनीवर को स्वर्गीय हकीम मोहम्मद अजमल खां सेमिनार हाल का उद्घाटन हुआ। इरम एजूकेषनल सोसायटी की ओर से संचालित कुर्सी रोड गुडम्बा स्थित इरम हॉस्पिटल में मुख्य अतिथि यूनानी निदेषक डाॅ सिकन्दर हयात सिद्दीकी रहे। विषिश्ट अतिथि कुलसचिव बोर्ड ऑफ आयुर्वेदिक एंड यूनानी सिस्टम ऑफ मेडिसिन, उत्तर प्रदेश के कुलसचिव डॉ अखिलेश वर्मा, सीआरआईयूएम के उपनिदेशक नफीस अहमद रहे।
काॅलेज में बीयूएमएस बैच 2019 की फ्रेशर पार्टी का आयोजन हुआ। इस मौके पर अतिथियों ने स्वर्गीय हकीम के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। अतिथि ने कहा कि हकीम साहब भारत में यूनानी चिकित्सा का डंका बजाने वालों में प्रमुख रहे। उनकी पहचान महज एक यूनानी हकीम जैसी नहीं थी, बल्कि वह प्रवक्ता रहे और आजादी के मतवाले भी रहे। यही नहीं वह इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। मुस्लिम लीग से भी जुड़े। असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया। खिलाफत मूवमेंट का भी नेतृत्व किया।
KGMU में अफसर के बेटे को पहले बनाया रेजीडेंट डॉक्टर फिर बना दिया शिक्षक
हकीम अजमल खान 11 फरवरी 1863 को दिल्ली में उस परिवार में पैदा हुए, जो मुगल सम्राट बाबर के समय भारत आई थी। उनके दादा परदादा मुगल बादशाहों की फैमिली का इलाज किया करते थे। उनकी फैमिली में सभी यूनानी हकीम थे। हकीम अजमल खां की पढ़ाई शुरू हुई। जब उनकी पढ़ाई पूरी हुई तो उन्हें 1892 में रामपुर के नवाब का मुख्य हकीम तैनात कर दिया गया। अपने पुरखों की तरह उनके इलाज में भी बेहद असर था। इलाज करने में इतने माहिर हो गए थे कि यह कहा जाने लगा था कि वो सिर्फ मरीज का चेहरा देखकर उसकी बीमारी का पता लगा लेते हैं।
तभी तो वो अपने दीवानखान में तख्त पर बैठे हुए। एक दिन में 200 मरीजों को देखकर दवा दे दिया करते थे।
सेमिनार हॉल उद्घाटन पर एक डाक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत की गई। छात्र-छात्राओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। इस मौके पर इरम के मैनेजर डॉ रज्मी यूनुस, प्रेसीडेंट डॉ ख्वाजा बज्मी यूनुस, डायरेक्टर ख्वाजा फैजी यूनुस, सचिव ख्वाजा सैफी यूनुस आदि रहे।