नई दिल्ली। भारत में एटीएम, क्रेडिट कार्ट, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड के मामले में 2018-2019 में वृद्धि दर्ज की गई है। 2017-2018 में जहां 34,791 केस सामने आये थे। तो वहीं 2018-2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 52,304 हो गया। सभी एटीएम फ्रॉड के 27 फीसदी मामले दिल्ली में दर्ज किये गये।
दिल्ली बनती जा रही है फ्रॉड कैपिटल
हालांकि धोखा देकर रकम की निकासी में 2018-2019 में कमी दर्ज की गई है। इंटरनेट, एटीएम और कार्ड से धोखाधड़ी कर 2018-2019 में जहां 149 करोड़ रुपये की नुकसान किया गया। वहीं 2017-2018 में 169 करोड़ रुपये का फ्रॉड किया गया। दिल्ली इस लिहाज से फ्रॉड कैपिटल बनती जा रही है, क्योंकि देश भर में जितने फ्रॉड के केस दर्ज किये गये हैं। उनमें से 27 फीसदी अकेले दिल्ली में ही रिकॉर्ड किए गए है।
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एसबीआई के एटीएम से 2468 फ्रॉड मामले में नंबर
केंद्र सरकार की ओर से संसद में दाखिल किये गये जवाब में बताया गया कि सार्वजनिक बैंकों के एटीएम से फ्रॉड का चौंकाने वाला मामला सामने आया। मार्च 2019 के अंत तक पूरे देश में एसबीआई के 58,000 एटीएम से 2468 फ्रॉड के मामले दर्ज किये गये। जबकि आईडीबीआई दूसरे नंबर पर रहा। इसके एटीएम से करीब 1800 फ्रॉड के मामले देखने को मिले हैं। बैंक ऑफ बड़ोदा के 1717, पीएनबी के 1270 और बैंक ऑफ इंडिया के 871 धोखाधड़ी के नतीजे सामने आये हैं।
एटीएम को अपग्रेड करने में भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं बैंक
हालांकि सरकार ने फ्रॉड के कारणों का खुलासा नहीं किया। बैंकरों का मानना है कि भारत में विदेशों से जालसाजों का तांता लगा हुआ है। एक बैंकर ने बताया कि यूरोप में बैंकिंग संरचना का अपग्रेडेशन लगातार किया जा रहा है। जिसकी वजह से जालसाजों को उन मुल्कों से धोखाधड़ी करने में दुश्वारी पेश आ रही है। इसलिए ऐसे लोग भारत को आसान टारगेट समझ रहे हैं। उधर, आरबीआई ने बैंकिंग संरचना को सुधारने के लिए विस्तार से मानदंड जारी किया है। मगर बैंक नई चुनौतियां का सामना करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यहां तक कि एटीएम को अपग्रेड करने में भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।