यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी अभी से बढ़ी हुई है, सपा एवं बसपा ब्राह्मण वोटरों को अपने पाले में करने के लिए सम्मेलन करवा रही हैं। योगी सरकार में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा- बसपा का प्रबुद्ध ब्राह्मण सम्मेलन व्यर्थ होगा, क्योंकि ब्राह्मण वर्ग भाजपा के साथ है। मौर्य ने कहा- दलित वोटर मायावती का साथ छोड़ चुका है, ऐसे में बसपा को अपने दलित वोटरों पर भरोसा नहीं है।
उन्होंने कहा- ब्राह्मण सबसे पढ़ा लिखा और समझदार मतदाता है, वह बसपा या सपा के बहकावे में नहीं आने वाला है, वह अपने विवेक से फैसला लेगा। गौरतलब है कि बसपा अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत की, अब वह इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए विभिन्न जिलों में कार्यक्रम कर रही है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पिछड़ा, दलित, मुस्लिम के बाद सबसे ज्यादा राजनीतिक दलों का फोकस ब्राह्मण वोटों पर है। वह इसे किसी भी कीमत पर अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है।
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बीएसपी के रणनीतिकारों ने महसूस किया है कि ब्राह्मणों को अपने पाले में खींचना है तो राम और परशुराम की अग्रपूजा जरूरी है। बीएसपी ने 2007 में पहली बार सोशल इंजीनियरिंग का ताना-बाना बुना था। ब्राह्मणों को जोड़ने का यह पूरा फारम्यूला सतीश चंद्र मिश्रा ने तैयार किया था। उसके परिणाम भी अच्छे आए सरकार भी बनी। लेकिन वर्ष 2012 में बसपा का यह फार्मूला ना सिर्फ फेल हुआ बल्कि उसको सत्ता से भी बाहर कर दिया।