लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एटीएस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। यूपी ATS ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो भारत में अवैध रूप से रोहिंग्या (Rohingya) मुसलमानों की एंट्री कराता है। एटीएस ने दो रोहिंग्या (Rohingya) मुसलमानों को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया है। ये लोग म्यांमार के रहने वाले हैं।
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उत्तर प्रदेश एटीएस (एंटी टेररिस्ट सेल) की टीम ने फारूक और शाहिद नामक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर आरोप है कि ये दोनों रोहिंग्या मुलमानों को देश में प्रवेश कराने के साथ ही उनका भारतीय दस्तावेज बनवाकर फैक्ट्रियों में काम दिलवाते थे। एटीएस ने दोनों को नोएडा और उन्नाव से गिरफ्तार किया है। फारूक और शाहिद दोनों आपस में भाई हैं और ये दोनों म्यांमार के रहने वाले हैं। इन दोनों के पास से भारतीय पासपोर्ट और दस्तावेजों सहित 5 लाख रुपये नकद भी बरामद किए गए हैं। एटीएस की टीम दोनों से पूछताछ कर रही है।
निश्चित धनराशि भी वसूलते थे
गिरफ्तार फारूक उर्फ हसन और शाहिद दोनों भाई हैं। ये दोनों लोग म्यांमार के रोहिंग्या (Rohingya) मुसलमानों को देश के भीतर अवैध रूप से प्रवेश कराकर फिर उनके भारतीय दस्तावेज बनवाकर मीट की फैक्ट्रियों में काम दिलाते थे. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, कानपुर और उन्नाव के इलाकों में इन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को काम दिलाया है। काम दिलवाने के एवज में ये लोग रोहिंग्या मुसलमानों से निश्चित धनराशि भी वसूलते थे।
आरोपी फारूक उर्फ हसन ने बताया कि वह और उसका भाई शाहिद मूल रूप से म्यांमार के ही रहने वाले हैं। यहां उत्तर प्रदेश में रहकर फर्जी दस्तावेज बनवाकर अलीगढ़ में रह रहा था। वहीं उसका भाई शाहिद उन्नाव में और मां हमीदा शाही अलीगढ़ में रहती हैं। उसने बताया कि अपने भाई शाहिद के साथ मिलकर रोहिंग्या (Rohingya) मुसलमानों को बांग्लादेश बॉर्डर से अवैध रूप से भारत लाते हैं। इसके बाद उनका यूएन एचसीआर में पंजीकरण कराने के बाद उन्हें अलीगढ़, उन्नाव और मथुरा में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय नागरिक के रूप में मीट की फैक्ट्रियों में काम दिलवाते थे।
जल्द हो सकती है और गिरफ्तारी
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों की पहचान की जा रही है। इसके बाद और गिरफ्तारी की जा सकती है. उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से 1500 से 1600 रोहिंग्या (Rohingya) मुसलमान निवास कर रहे हैं।