नई दिल्ली। केंद्र और राज्यों के बीच संसाधन बंटवारे का फार्मूला तय कर रहे 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल केंद्र सरकार ने एक साल और बढ़ा दिया है। बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद वित्त आयोग का कार्यकाल अब 30 अक्टूबर 2020 तक होगा। फिलहाल आयोग का कार्यकाल इसी महीने की 30 तारीख को समाप्त हो रहा था।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली रिपोर्ट सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वित्त आयोग को पहले वित्त वर्ष यानी 2020-21 की पहली रिपोर्ट सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के लिए अंतिम रिपोर्ट देने की अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है। आयोग की अवधि अक्टूबर 2019 में समाप्त हो गई थी, लेकिन सरकार ने उसकी अवधि को 30 नवंबर 2019 तक बढ़ा दिया था। सरकार ने अपने बयान में कहा है कि कार्यकाल की अवधि बढ़ने से आयोग को राज्यों के वित्तीय अनुमानों का सही तरीके से अध्ययन करने का और वक्त मिलेगा। इससे आयोग अगले पांच वर्ष के लिए अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।
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राज्यों की अर्थव्यवस्था का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आयोग को समय की आवश्यकता
सरकार के मुताबिक देश भर में हुए विभिन्न विधानसभा चुनावों की वजह से आयोग का राज्यों के दौरे का कार्यक्रम काफी लंबा चला। ये दौरे हाल ही में समाप्त हुए हैं। इसलिए राज्यों की अर्थव्यवस्था का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आयोग को समय की आवश्यकता है। अधिक अवधि मिलने से आयोग को मध्यावधि के लिए रणनीति तैयार करने में भी मदद मिलेगी।