असम के सामाजिक कार्यकर्ता और विधायक अखिल गोगोई को विशेष NIA कोर्ट ने गुरुवार को दूसरे UAPA राजद्रोह के मामले में बरी कर दिया है। साल 2019 में CAA के खिलाफ जारी प्रदर्शन में हुई हिंसा को लेकर गोगोई पर दो केस दर्ज किए गए थे, जिसमें हिंसा भड़काना भी एक था।
गोगोई इसी साल मार्च में भी सुर्खियों में आए थे, जब जेल उन्होंने जेल से पत्र लिखा आरोप लगाया था कि उन्हें मानसिक एवं शारीरिक यातनाएं दी गई। उन्होंने यह भी बताया था कि NIA अधिकारियों ने उन्हें RSS या BJP में शामिल होने पर तत्काल जमानत देने का प्रस्ताव भी दिया था। बता दें कि गोगोई ने इसी वर्ष राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसागर सीट पर जीत दर्ज की है।
एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रांजल दास ने चांदमारी मामले के संबंध में गोगोई और उनके तीन साथियों धिरज्या कुंवर, मानस कुंवर और बीटू सोनोवाल पर आरोप तय नहीं किए। इस मामले में उनपर माओवादियों से संबंध रखने का आरोप था।
एनआईए हिंसक प्रदर्शनों में गोगोई और उनके साथियों की कथित भूमिका से संबंधित दोनों मामलों की जांच कर रही थी. ये मामले पहले चांदमारी और चाबुआ पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे। अदालत द्वारा जेल से रिहाई के आदेश जारी किए जाने के बाद गोगोई को गुरुवार को ही रिहा करने की संभावना है। उनके तीन साथी पहले ही जमानत पर बाहर हैं।
बता दें कि रायजोर दल के प्रमुख अखिल गोगोई 12 दिसंबर, 2019 से जेल में हैं। उन्हें नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में आंदोलन के जोर पकड़ने के दौरान कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में अखिल गोगोई ने शिवसागर सीट से जीत दर्ज की थी।