तुलसी (Tulsi) के गुणों के बारे में तो सभी जानते हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी को एक औषधीय गुणों से भरपूर पौधा माना गया है। तुलसी का उपयोग बहुत पहले से आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता रहा है।
ये कई बीमारियों को सही करने में सक्षम है। इसलिए आयुर्वेद में तुलसी को विशेष महत्व दिया जाता है। पहले के समय में किसी के बीमार पड़ने पर दादी-नानी के नुस्खों में भी तुलसी का उपयोग होता था। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो बदलते मौसम में होने वाली परेशानियों से भी बचाते हैं।
तुलसी के पत्तों में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे हमारा शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम बनता है। प्रतिदिन सुबह तुलसी के एक या दो पत्ते खाने से बदलते मौसम में होने वाले रोगों की वजह से बार-बार बीमार नहीं पड़ते हैं।
तुलसी के पत्ते मुंह की दुर्गंध से निजात दिलाते हैं। रोजाना तुलसी के कुछ पत्ते मुंह में रखकर चूसने से सांस में आने वाली दुर्गंध दूर होती है, लेकिन तुसली के पत्तों को दांतों से चबाकर नहीं खाना चाहिए।
तुलसी सर्दी-जुकाम के साथ बुखार में भी फायदा पहुंचाती है। काली मिर्च और तुलसी को पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएं, इसमें मिश्री डालें। इसको पीने से बुखार में राहत मिलती है। जुकाम होने पर तुलसी को पानी में उबाल कर भाप लेने से भी फायदा होता है।
तुलसी पेट संबंधित परेशानियों में भी लाभ पहुंचाती है। लूज मोशन होने पर तुलसी को जीरे के साथ पीस लें और दिन में तीन से चार बार इस मिश्रण को खाएं। इससे दस्त की समस्या से निजात मिलेगी।