छह महीने पहले हो सकेगी टीबी की पहचान

अब छह महीने पहले हो सकेगी टीबी की पहचान

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नई दिल्ली। टीबी का अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। टीबी के इलाज के लिए सरकार ने भी दवाइयों का कोर्स शुरू किया था,जिसे अगर डॉक्टर के निर्देशनुसार पूरा किया जाता है। तो इस रोग से मुक्ति पाना संभव है, लेकिन कई बार लोगों में इस बीमारी का पता काफी बाद में चल पाता है।

टीबी के इलाज के लिए अब वैज्ञानिकों ने ब्लड टेस्ट का एक नया तरीका निकाला

तब तक यह बीमारी पूरे शरीर में फ़ैल चुकी होती है, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ब्लड टेस्ट का एक नया तरीका निकाला है। जिसकी मदद से टीबी (यक्ष्मा) होने से तीन से छह माह पहले बीमारी की पहचान हो सकेगी। लोगों के बीमार पड़ने से पहले ही बीमारी का इलाज किया जा सकेगा।

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द लैंसेट रेस्पाइरेट्री मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने उन जीन अभिव्यक्तियों की पहचान की है। जो बीमारी के शुरू होने से पहले ही रक्त में आ जाते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ता ऋषि गुप्ता ने कहा, जीन अभिव्यक्ति सिग्नेचर टेस्ट के विकसित होने से टीबी के इलाज में मदद मिलेगी।

टीबी दुनियाभर में होने वाली मौतों के शीर्ष दस कारणों में से एक

टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से होती है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। टीबी संक्रामक रोग है और एक से दूसरे व्यक्ति तक हवा के जरिए फैल सकता है। टीबी दुनियाभर में होने वाली मौतों के शीर्ष दस कारणों में से एक है। दुनियाभर की एक चौथाई जनसंख्या में यह बैक्टीरिया मौजूद होता है, लेकिन ज्यादातर लोग स्वस्थ रहते हैं और इस बैक्टीरिया को नहीं फैलाते।

 

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