नई-दिल्ली। कभी संघ व विहिप की ‘आंखों का तारा’ रहे उनके बागी नेता डाक्टर प्रवीण भाई तोगड़िया (Praveen Bhai Togadia) सात जनवरी को उत्तराखण्ड के देहरादून जा रहे हैं, वहाँ दिन-भर उनके व्यस्त-कार्यक्रम हैं, वह दोपहर में मीडिया से भी बातचीत करेंगे लेकिन उन सबके बीच वह भारतीय जनसंघ के प्रेरणा एवम् स्थापना-पुरुष पण्डित दीनदयाल उपाध्याय (Pt. Deendayal Upadhyay) के प्रपौत्र प्रख्यात न्यायविद चन्द्रशेखर उपाध्याय (CS Upadhyay) के आवास पर भी जायेंगे । जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त तोगड़िया के कार्यालय से उत्तराखण्ड के पुलिस-महानिदेशक को जारी काय॔क्रम में इसे एक शिष्टाचार भेंट बताया गया है, उधर तोगड़िया के सूत्रों के अनुसार अभी पिछली 11जून को चन्द्रशेखर की माँ पुष्पलता उपाध्याय का निधन हो गया था, उस समय तोगड़िया देशव्यापी-प्रवास के कारण आ नहीं पाये थे, वह उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने वहाँ जायेंगे ।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषक एवम् पण्डित इस भेंट एवम् मुलाक़ात के निहितार्थ तलाश रहे हैं । चन्द्रशेखर एवम् तोगड़िया दोनों का अपना एक देशव्यापी वजूद है । दीनदयाल के प्रपौत्र देश की शीर्ष-अदालतों में हिन्दी एवम् अन्य भारतीय भाषाओं में कामकाज शुरू कराने एवम् निर्णय भी पारित किये जाने हेतु ‘हिन्दी से न्याय ‘ इस देशव्यापी अभियान के नेतृत्व-पुरुष हैं, पूरे देश में उनकी टीमें सक्रिय हैं उन टीमों ने संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन की अपनी मांग के समर्थन में देश भर के लगभग डेढ़-करोड़ से भी अधिक लोगों से हस्ताक्षर प्राप्त किये हैं।
अभियान के जनसंवाद- समन्वयक भास्कर राव का कहना है कि हस्ताक्षर-अभियान के क्रम में प्रत्येक भारतवंशी से आग्रह किया गया है कि वह मुहिम के समर्थन में कम से कम दस लोगों के हस्ताक्षर प्राप्त करें एक परिवार में अमूमन चार या पाँच सदस्य होते ही हैं,इस प्रकार छह करोड़ से ज्यादा देशवासियों से हमने प्रत्यक्ष संवाद किया है, इस संख्या को दस गुना करें तो लगभग साठ करोड़ भारतवंशी हमारे साथ हैं। भारत के अलावा विदेशों में रह रह हजारों भारतवंशियों ने ‘हिन्दी से न्याय ‘ इस देशव्यापी अभियान के समर्थन में हस्ताक्षर हमें सौंपे हैं,हमारा अभियान अंग्रेजों की धरती तक पहुँच गया है, जहाँ से अंग्रेजी आयी थी,उधर तोगड़िया संघ व भाजपा के तरकश के तीरों को बखूबी समझते हैं और उन्हें भेदने की कला से भी वाकिफ हैं ।
दिलचस्प यह है कि चन्द्रशेखर व तोगड़िया दोनों के साथ अधिसंख्य वे लोग हैं जिन्होंने अपने-अपनों से धोखा खाया है तोगड़िया ने नौ फरवरी, 2019 को जिस दिन अपने दल के गठन की घोषणा की थी, उसी दिन नौ राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त कर दिए थे, वे सभी संघ के पूर्व प्रचारक एवम् विस्तारक थे ।
#राजनीतिक-पण्डित जुटे पड़ताल में, भाजपा में नये समीकरण की सुगबुगाहट ।
#विहिप के बागी नेता हो सकते हैं भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष?
#राजनीतिक-गलियारों में इस मुलाकात को संघ के समर्थन की भी है चर्चा ।
#मुलाकात के समय मौजूद रहेंगे संघ व भाजपा के कई पूर्व प्रचारक एवम् विस्तारक ।
तोगड़िया जब यह कहते हैं कि मेरे साथ साइकिल पर घूमने वाले और गुड़-चना खाने वाले राजमहलों और हैलीकॉप्टर तक पहुँच गये हैं तो तालियाँ गूंजने लगती हैं, संघ एवम् भाजपा चन्द्रशेखर व तोगड़िया दोनों की ताकत को पहचानते हैं, चन्द्रशेखर का शिक्षण-प्रशिक्षण नाना देशमुख, रज्जू भइया व शेषाद्रि सरीखे लोगों की देखरेख में हुआ है जिसका असर उनके अभियान पर साफ दिखाई दे रहा है उधर राममंदिर आन्दोलन में अग्रिम पंक्ति के नेता रहे तोगड़िया संघ के मूल यक्ष-प्रश्नों पर लगातार संघर्षरत् तो रहे ही हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक-उत्थान के वह सबसे मजबूत कारण हैं, जब केशूभाई पटेल की जगह नरेन्द्र मोदी को गुजरात भेजा जा रहा था तब संजय भाई जोशी, सुरेश सोनी,अशोक सिंघल के अलावा तोगड़िया ने ही उनकी सबसे मजबूत पैरवी की थी जबकि उस समय गुजरात के अधिसंख्य भाजपा विधायक मोदी को मुख्यमंत्री बनाने के खिलाफ थे।
गोधरा कांड से मजबूत हुए मोदी जब दिल्ली पहुँचे तो उन्होंने एक-एक करके उन सभी ताकतों को खत्म किया जो उनके रास्ते में अवरोध बन सकते थीं । इससे इतर संघ की चिंता यह है कि चन्द्रशेखर को मिल रहे देशव्यापी समर्थन के पश्चात कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल उनसे बात कर रहे हैं, तोगड़िया के उनके साथ मिल जाने से यह ताकत दोगुना हो जायगी अगर दोनों मिलकर भाजपा के विरोध में कोई फैसला लेते हैं तो पार्टी को इसकी भारी राजनीतिक कीमत चुकानी होगी, इसी के मद्देनजर सुलह-समझौते की कोशिशें शुरू हुई, संघ के चुनिंदा-प्रचारकों को इसकी जिम्मेदारी दी गयी, देहरादून में सात जनवरी को चन्द्रशेखर व तोगड़िया की मुलाकात उसी ‘कसरत ‘ का नतीजा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात के बाद भाजपा के हिस्से में ‘विष’ या अमृत क्या आता है? फिलहाल हम उस नजारे का इंतजार ही करें ।