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आज दुनिया ने जाना भारत का लोकतंत्र कितना जीवंत और मजबूत है : पीएम मोदी

पीएम मोदी

पीएम मोदी

नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया ने यह भी जान लिया है कि भारत का लोकतंत्र कितना जीवंत है और कितना मजबूत है।

अयोध्या के फैसले को हर समुदाय और हर पंथ के लोगों सहित पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया

पीएम मोदी ने कहा कि फैसला आने के बाद जिस प्रकार हर वर्ग, हर समुदाय और हर पंथ के लोगों सहित पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वो भारत की पुरातन संस्कृति, परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा कि भारत की न्यायपालिका के इतिहास में भी आज का ये दिन एक स्वर्णिम अध्याय की तरह है। इस विषय पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सबको सुना और बहुत धैर्य से सुना और पूरे देश के लिए खुशी की बात है कि सर्वसम्मति से फैसला दिया।

दिन है संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का

पीएम ने कहा कि आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही नौ नवंबर की ये तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे ही है। आज के दिन का संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का है और मिलकर जीने का है। पीएम ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है। इसलिए, देश के न्यायधीश, न्यायालय और हमारी न्यायिक प्रणाली अभिनंदन के अधिकारी हैं। आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही नौ नवंबर की ये तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे ही है। आज के दिन का संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का है और मिलकर जीने का है।

भय, कटुता, नकारात्मकता को तिलांजलि देने का दिन

पीएम  ने कहा कि इन सारी बातों को लेकर कभी भी, कहीं भी किसी के मन में कोई भी कटुता रही हो तो उसे भी तिलांजलि देने का दिन है। नए भारत में भय, कटुता, नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च अदालत का ये फैसला हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आया है। इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी।

पीएम ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है, अब देश के हर नागरिक पर राष्ट्र निर्माण की जवाबदारी और बढ़ गई है। एक नागरिक के तौर पर हम सभी पर देश की न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान, नियम कायदों का सम्मान करना, ये दायित्व भी पहले से अधिक बढ़ गया है।

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