लखनऊ: आज दो जून (June 2) है। दो जून की रोटी’ पर अक्सर लोग जोक बनाते हैं। जैसे आज दो जून है आज रोटी (Bread) जरूर खाना क्योंकि ‘दो जून की रोटी बहुत नसीब वालो को मिलती है। इसके अलावा ‘वह लोग बहुत खुशनसीब लोग होते हैं जिनको दो जून की रोटी मिलती है।’ दो जून का सीधा सा इतना ही मतलब है कि एक दिन में दो वक्त का खाना मिलना। जिनको दिन में दो वक्त का खाना मिलता है वह खुशनसीब हैं क्योंकि उन्हें ‘दो जून की रोटी’ मिल रही है। जिनको मेहनत के बावजूद दो वक्त का खान नहीं मिल पाता उनके लिए मुश्किल है।
क्या है दो जून का मतलब
‘दो जून’ का मतलब दो वक्त होता है। अवधी भाषा में ‘जून’ का मतलब ‘वक्त’ होता है। ‘दो जून की रोटी’ का मतलब है कि आपको दिन में दो वक्त का खाना मिल रहा है। इसका मतलब आप संपन्न हैं। अगर किसी को ‘दो जून’ यानी ‘दो वक्त’ का खाना नहीं मिल पा रहा है तो उसके बारे में कहा जाता है कि बहुत मेहनत करने के बाद भी ‘दो जून की रोटी’ नसीब नहीं, मतलब ‘दो वक्त का खाना’ नहीं मिल पाता। हलांकि दो जून उत्तर भारत में खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी मशहूर है।
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आज भी नहीं मिल पाती दो जून की रोटी
ख्याल रहे भारत में अब भी ऐसे लोग बसते हैं जिनको ‘दो जून की रोटी’ नहीं मिल पाती। साल 2017 में नेशनल फैमिली हेल्थ के सर्वे के मुताबिक भारत में 19 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें ‘दो जून की रोटी’ नहीं मिल पाती। लोगों को ‘दो जून की रोटी’ मिल सके इसलिए सरकार ने कोरोना काल में लोगों को मुफ्त राशन बांटा। बताया जाता है कि इस योजना से तकरीबन 80 करोड़ लोगों को फायदा मिला।