लखनऊ: 16 जुलाई दिन शनिवार को कर्क संक्रांति (Kark Sankranti) का पर्व है, आज सूर्य कर्क राशि में गोचर करेंगे। साल में 12 संक्रांति होती हैं क्योंकि सूर्य सभी 12 राशियों में गोचर करते हैं। वहीं मकर और कर्क संक्रांति का विशेष महत्व होता है। सूर्य जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तब उस दिन राशि से जुड़ी संक्रांति होती है।
मान्यता है कि, कर्क संक्रांति के दिन से 6 महीने की भगवान की रात्रि शुरू होती है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कर्क संक्रांति पर पितरों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
दिन छोटे, रात होती है लंबी
जब सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन में जाते हैं, तब मौसम में परिवर्तन होता है। सूर्य देव उत्तरायण में होते हैं तो रातें छोटी और दिन बड़े होते हैं। वहीं सूर्य देव के दक्षिणायन होने से दिन छोटे होने लगते हैं और रातें लंबी होने लगती हैं। हिंदू धर्म में कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है और इस दिन विशेष पूजा कर पितरों का आशीर्वाद पा सकते हैं।
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कर्क संक्रांति का प्रभाव
सूर्य देव के दक्षिणायन होने पर मौसम में परिवर्तन देखने को मिलता है। कर्क संक्रांति से शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई आदि करने पर रोक रहती है क्योंकि, इस समय नकारात्मक शक्तियां प्रभाव में होती है। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान किया जाता है। पितरों की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस विशेष पूजा से पितर तृप्त होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।