नई दिल्ली। भारत रत्न मानवीय प्रयास के किसी भी क्षेत्र में सर्वोच्च क्रम की सेवा के लिए पुरस्कार है। नेहरू-गांधी परिवार के छह में से तीन सदस्यों को भारत रत्न मिला। 1955 में नेहरू ने इसे प्राप्त किया,1971 में इंदिरा को मिला और 1991 में राजीव को मिला। भारत रत्न की सिफारिशों को प्रधान मंत्री खुद राष्ट्रपति को करता है।यह 2 जनवरी 1954 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने स्थापित किया था।
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आपको बता दें 1955 और 1971 के दौरान भारत के राष्ट्रपतियों, अर्थात् डॉ राजेंद्र प्रसाद और श्री वी.वी. गीरी ने तत्कालीन प्रधानमंत्रियों नेहरू और इंदिरा,को भारत रत्न से अनैतिक रूप से सम्मानित किया। ये भी बहुत ही उत्सुकता वाली बात है की,यह वही पीएम, नेहरू और इंदिरा है जिन्होंने क्रमशः1962 और 1975 में भारत रत्न के लिए इन्ही राष्ट्रपतियों की सिफारिश थी।“15 जुलाई, 1955 को ग्रैंड यूरोप यात्रा से पंडित नेहरू की वापसी के बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद के उपरोक्त भाषण से दिए गए अंश -” ऐसा करने में, एक बार के लिए, मुझे असंवैधानिक रूप से कार्य करने के लिए लिया जा सकता है, क्योंकि मैं यह कदम उठा रहा हूं मेरी खुद की पहल और बिना किसी सिफारिश या मेरे प्रधान मंत्री से सलाह किये हुए; लेकिन मुझे पता है कि मेरी कार्रवाई का सबसे उत्साहपूर्वक समर्थन किया जाएगा”।
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जानकारी के मुताबिक उन्होंने 26 मार्च 1942 को फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया। जिसके बाद वो 1955 में श्रीमती इंदिरा गाँधी कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी।1958 में उन्हें कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया।वे एआईसीसी के राष्ट्रीय एकता परिषद की उपाध्यक्ष और 1956 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस और एआईसीसी महिला विभाग की अध्यक्ष बनीं।वहीँ बता दें 1955 में जवाहरलाल नेहरू प्रधान मंत्री थे, 1971 में इंदिरा थीं।इंदिरा के जीवन की सबसे ख़ास बात है कि उन्होंने साल 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं थीं। साथ ही उनका योगदान भारतीय बैंकों के राष्ट्रीयकरण में भी रहा है।