नई दिल्ली। भारत की इस बेटी ने पहली अंतरिक्ष यात्री बनने का इतिहास तो रच ही दिया था। लेकिन हर किसी की नजर उस अंतरिक्ष यान पर टिकी हुई थी। कल्पना चावला हरियाणा में करनाल के एक साधारण से परिवार से थीं। आज तक कोई भी भारतीय महिला अंतरिक्ष में नहीं गई है। इसे सुनकर कल्पना ने बहुत ही दृढ़ता से कहा कि किसे पता है मैडम, एक दिन यह सेट खाली न रहे। इसे सुनकर सब दंग थे।
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आपको बता दें 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना बचपन से ही ऐसे माहौल में पली-बढीं, जहां परिश्रम को सबसे महवपूर्ण माना जाता था। चार भाइ-बहनों में सबसे छोटी कल्पना सबको बहुत प्यारी थीं। कल्पना को बचपन से ही उनकी मां ने हर एक चीज के लिए बढ़ावा दिया। उस समय में जब लड़कियों की पढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं देता था, तब कल्पना की मां यह सुनिश्चित करती थीं कि उनकी सभी बेटियां वक्त पर स्कूल जाएं।
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जानकारी के मुताबिक पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही कोलंबिया शटल दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और देखते ही देखते कल्पना चावला समेत उस यान में सवार सभी सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। इस अंतरिक्ष यान का मलबा अमेरिका के टैक्सास राज्य के डलास इलाके में गिरा था। लेकिन कल्पना समेत किसी भी अंतरिक्ष यात्री के पार्थिव शरीर का कोई भी अंग उस मलबे में नहीं मिला था।