नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने कहा है कि देश में ‘कोविड-19’ के संक्रमितों के चिकित्सकों के लिए सुरक्षात्मक उपकरणों (पीपीई), मॉस्क, वेंटीलेटर और अन्य उपकरणों की फिलहाल कोई कमी नहीं है, लेकिन इनका तर्कसंगत इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
रिपोर्टें निराधार हैं कि चिकित्सकों को इनकी आपूर्ति नहीं की जा रही है और राज्यों में पीपीई की कमी है
देश में चिकित्सकों के लिए इन सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी की खबरों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पहले पीपीई की कमी थी लेकिन अब स्थिति में काफी सुधार है और विदेशों से इनकी आपूर्ति होनी शुरू हो गई है। इस तरह की रिपोर्टें निराधार हैं कि चिकित्सकों को इनकी आपूर्ति नहीं की जा रही है और राज्यों में इनकी कमी है।
राज्य सरकारों को उनकी मांग के आधार पर ही इन पीपीई की आूपर्ति की जा रही है
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने कहा कि देश में पीपीई और अन्य उपकरणों के लिए देश में 20 घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को इस कार्य के लिए विकसित कर दिया गया है। पहले जो आर्डर दिए गए थे उनकी आपूर्ति शुरू हो गई है। लगभग 1़ 7 करोड़ पीपीई और 49 हजार वेंटीलेटर के आर्डर दिए जा चुके हैं लेकिन हमें यह बात अच्छी तरह समझ लेनी है कि इनका इस्तेमाल तर्कसंगत तरीके से किया जाना चाहिए तथा इसमें यह भी ध्यान रखा जाना है कि चिकित्सकों को जोखिम कितना है। कोरोना वायरस के मरीजों की तीन श्रेणियां होती हैं, जिनमें लो रिस्क, मीडियम और हाई रिस्क मरीज होते हैं और केवल हाई रिस्क मरीजों के लिए पूरे सुरक्षात्मक उपकरण की जरूरत होती है। राज्य सरकारों को उनकी मांग के आधार पर ही इन पीपीई की आूपर्ति की जा रही है।
अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि देश में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की कोई कमी नहीं है और इसका पर्याप्त स्टॉक
श्री अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि देश में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की कोई कमी नहीं है और इसका पर्याप्त स्टॉक है तथा भविष्य में भी इस दवा की कोई कमी नहीं रहेगी लेकिन हर किसी को इस दवा को लेने से बचना चाहिए क्योंकि अन्य दवा की तरह इस दवा के भी गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इससे दिल की धड़कन की गति अनियमित हो सकती है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्माता है और देश में दवा के स्टॉक पर उच्च स्तरीय निगरानी रखी जा रही है। भविष्य में भी इसकी कोई कमीं नहीं आने दी जाएगी।
चिकित्सकों अथवा मरीजों की देखभाल कर रहे रिश्तेदारों को ही ‘प्रोफाइलेक्सिस’ के आधार पर दिया जाता है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा
उन्होंने कहा कि चूंकि यह दवा केवल पंजीकृत चिकित्सकों की सलाह पर दी जाती है और इसे कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों, उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों अथवा मरीजों की देखभाल कर रहे रिश्तेदारों को ही ‘प्रोफाइलेक्सिस’ के आधार पर दिया जाता है। इस दवा को हर किसी को नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसके काफी दुष्प्रभाव होते हैं।
उन्होंने बताया कि जिस तरह कोरोना विषाणु संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, उसी स्तर पर राज्यों में इससे निपटने की तैयारियां की जा रही हैं और मुख्य ध्यान इस संक्रमण की चेन तथा इसके प्रसार को रोकना है, जिसमें राज्य सरकारों की भी अहम भूमिका है। इसी आधार पर सभी राज्यों में जिला स्तर पर प्रशासन अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं।