बता दें कि राजधानी लखनऊ में जनवरी-फरवरी माह में कोरोना की रफ्तार काफी नियंत्रित थी। ऐसे में अफसरों ने कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड में तब्दील कर दिया था। टेस्टिंग-ट्रेसिंग का ग्राफ भी घटा दिया था। वहीं मार्च से कोरोना वायरस का प्रसार बढ़ना भी शुरू हो गया। अब तो हाल यह हो गया है कि कोरोना की रफ्तार को थाम पाना मुश्किल हो रहा है। जिम्मेदार अफसर शुरू में कोरोना को लेकर गंभीर नहीं दिखे।
अप्रैल माह में एकाएक कोरोना के हजारों मरीज सामने आने से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं। आम मरीजों को तो दूर हेल्थ वर्कर, फ्रंट वर्कर व उनके परिवारजनों को संक्रमण होने पर बेड नहीं मिल पा रहा है।
लेवल-थ्री के अस्पतालों में आईसीयू, एचडीयू के बेड फुल हैं। गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन स्पोर्ट बेड नहीं मिल रहा है। लोकबंधु अस्पताल लेवल-2, लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में नौ गंभीर मरीज भर्ती हैं, जिनकी लेवल-थ्री में शिफ्टिंग नहीं हो पा रही है। यहां तक कि सिविल अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. रोहित के पिता को भी बेड नहीं मिला, उनकी मौत हो गई।
भर्ती मरीजों का आंकड़ा जारी करना हुआ बंद
एक अप्रैल से पांच अप्रैल तक शहर में 5,198 मरीज मिले। इनमें केवल 978 ही भर्ती हो सके। इसके बाद छह अप्रैल से आठ अप्रैल तक 4,917 मरीज पाए गए, लेकिन विभाग ने कितने कोरोना मरीजों को भर्ती कराया, इसका आंकड़ा जारी नहीं किया।
8 अप्रैल तक इलाज की व्यवस्था
- सरकारी-निजी अस्पताल- 23
- निजी अस्पताल- 11
- आइसोलेशन के कुल बेड- 2,235
- आईसीयू बेड- 475
- एचडीयू बेड- 629
9 अप्रैल को बढ़े दो अस्पताल
- सरकारी-निजी अस्पताल- 25
- निजी अस्पताल- 13
- आइसोलेशन के कुल बेड- 2800
- आईसीयू बेड- 650
- एचडीयू बेड- 720
भविष्य का प्लान
- 31 कोविड अस्पताल- 4,000 बेड
यह भी जानें
- बीएलएस-एएलएस मिलाकर 62 एम्बुलेंस
- सरकारी व निजी मिलाकर करीब 30 केंद्रों पर कोरोना टेस्ट
- लखनऊ में अब तक 83,962 मरीजों ने कोरोना वायरस को हराया
- शहर में अब तक 1,265 मरीजों की कोरोना वायरस से मौत
- वर्तमान में 10,749 सक्रिय मामले, 2,800 के करीब कंटेंमेंट जोन
डॉ. संजय भटनागर, सीएमओ के अनुसारः-
कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जा रही है। जल्द ही समस्या का हल हो जाएगा। मरीजों की शिफ्टिंग समय पर करने के लिए एम्बुलेन्स का रिस्पॉन्स टाइम सही किया जा रहा है।