नई दिल्ली। निर्भया दुष्कर्म केस में सात साल तीन महीने और तीन दिन बाद पीड़िता के परिवार को 20 मार्च को इंसाफ मिल ही गया। दोषियों के शातिर वकील एपी सिंह के पैंतरें आखिरकार फेल हो गए। एपी सिंह तीन बार डेथ वारंट जारी होने के बाद भी दोषी फांसी से बचाते रहे, लेकिन निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए चट्टान की तरह अडिग वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा भी हार मानने को तैयार नहीं थीं। उनकी कोशिशें आखिरकार रंग लाईं और शुक्रवार की सुबह दरिंदों के फांसी पर लटकते ही निर्भया के परिवार के साथ पूरे देश के लिए इंसाफ मिल गया।
यूपी के इटावा की रहने वाली सीमा समृद्धि कुशवाहा ने बड़ी गरीबी में किसी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी की
इस पूरे केस में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा की जमकर तारीफ हो रही है। सीमा समृद्धि कुशवाहा ने न केवल निर्भया का केस लड़ा बल्कि दोषियों को उनके किए की सजा दिलाकर ही दम लिया। यूपी के इटावा की रहने वाली सीमा समृद्धि कुशवाहा ने बड़ी गरीबी में किसी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी की।
बेटी की इस कामयाबी पर सबसे ज्यादा उनकी मां रामकुअरी खुश
सुप्रीम कोर्ट की युवा वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा भले ही एक छोटे से गांव में अभावों के बीच पढ़ी-पली हैं। सीमा ने निर्भया के दरिंदों को फांसी दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। आखिरकार सीमा कुशवाहा को जीत हासिल हुई और चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। बेटी की इस कामयाबी पर सबसे ज्यादा उनकी मां रामकुअरी खुश हैं। वह कहती हैं कि अब बेटियों को जुल्म के खिलाफ ऐसे ही सीना तानकर खड़ा होना चाहिए। भाई प्रहलाद सिंह और अन्य परिजन भी निर्भया के दोषियों को फांसी मिलने और सीमा कुशवाहा के योगदान पर काफी खुश हैं।
सीमा कुशवाहा ने कभी हारना नहीं सीखा, मां कहती हैं कि पढ़ाई के लिए तो वह कितने भी दुख-दर्द उठा लेती थी
सीमा कुशवाहा ने आज जो मुकाम हासिल किया है, उसके लिए उन्होंने लंबी जद्दोजहद की है। सीमा में शुरू से ही आगे बढ़ने की ललक थी इसलिए सीमा ने कभी हारना नहीं सीखा। मां कहती हैं कि पढ़ाई के लिए तो वह कितने भी दुख-दर्द उठा लेती थी। शुरू की शिक्षा गांव और आसपास ही हुई। इसके बाद वह लखना कस्बे के कलावती रामप्यारी स्कूल में पढ़ने गईं और वहां से इंटर की पढ़ाई पूरी की। अजीतमल पीजी कॉलेज गईं। सात-भाई बहनों में सीमा सबसे छोटी हैं।
सीमा कुशवाहा ने निर्भया केस के दरिंदों को सजा दिलाने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगा दी
अजीतमल पीजी कॉलेज के बाद सीमा समृद्धि कुशवाहा कानपुर गईं और वहां के डीएवी कॉलेज से लॉ किया। लॉ करने के बाद वह कुछ समय हाई कोर्ट इलाहाबाद गईं। आर्थिक तंगी के चलते प्रौढ़ शिक्षा विभाग में अनौपचारिक शिक्षक के रूप में संविदा पर नौकरी भी की। फिर साहस किया और 2012 में सुप्रीम कोर्ट चली गईं। सीमा ने वहीं मास कम्युनिकेशन की भी पढ़ाई की।
बता दें कि सीमा कुशवाहा ने निर्भया केस के दरिंदों को सजा दिलाने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगा दी। कानून के क्षेत्र में तमाम तिकड़म बाजी और तर्क-वितर्क से भरा यह केस आखिरी रात तक चला। आखिरकारी निर्भया के दरिंदों को फांसी मिली और सीमा कुशवाहा की की जीत हुई। एक प्रख्यात वकील के रूप में आज सीमा की समृद्धि दुनियाभर में बढ़ गई है।