लठामार होली

बारिश न कम कर सकी मथुरा में रावल के हुरिहारों का जोश, जमकर खेली गई लठामार होली

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मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में बारिश भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान में हुरिहारों के जोश को कम न कर सकी। रावल के हुरिहारों ने जमकर लठामार होली खेली गई। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस बार की होली में लठामार होली रावल के हुरिहारों ने खेली। इस होली में हुरिहार गोपियों के लाठी के प्रहार को लाठियों पर ही रोकते हैं।

लठामार होली के शुरू होते ही जन्मस्थान का माहौल होली की मश्ती से भर गया

लठामार होली के शुरू होते ही जन्मस्थान का माहौल होली की मश्ती से भर गया । वातावरण लाठियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। दर्शकों का मनोरंजन उस समय अधिक हुआ जब वर्दीधारी पुलिसकर्मी बन्दूक लिए हुए भाग रहा था और गोपियां लाठियों से उसकी पिटाई करने उसके पीछे दौड़ रही थीं । ऐसे में मंदिरों की छत से मशीन से रंगबिरंगे गुलाल की वर्षा इन्द्रधनुषी छटा बिखेर रही थी।

आयोजकों ने यद्यपि बारिश के कारण इस अवसर पर होनेवाली कुछ होलियों का प्रस्तुतीकरण रोक दिया लेकिन चरकुला नृत्य, हरियाणवी नृत्य और फूलों की होली ने सबकी कसर पूरी कर दी तथा फूलों की होली के बाद सुगंधित इत्र की फुहारों ने द्वापर का सा दृश्य उपस्थित कर दिया ।

रंगभरनी एकादशी होने के कारण आज से वृन्दावन की रंगीली होली प्रारंभ हुई

नन्द के लाला की जयकार से जन्मस्थान की होली का समापन हुआ। वैसे श्रीकृष्ण जन्मस्थान की होली इसलिए प्रसिद्ध है कि यहां पर ब्रज के विभिन्न भागों में होनेवाली होली देखने को मिलती है। रंगभरनी एकादशी होने के कारण आज से वृन्दावन की रंगीली होली प्रारंभ हुई। आज श्यामाश्याम ने ब्रजवासियों के साथ होली खेली।

बांकेबिहारी मंदिर में दृश्य बड़ा ही था भावपूर्ण 

सबसे पहले राधाबल्लभ मंदिर ठाकुर की सवारी वृन्दावन की विभिन्न गलियों से होकर निकली जिसमें ठाकुर ने प्रसादस्वरूप ब्रजवासियों पर इतना गुलाल डाला कि वृन्दावन की गलियां गुलाल के रंग से लाल हो गईं। इसके बाद ही मंदिरों में होली शुरू हुई। बांकेबिहारी मंदिर में दृश्य बड़ा ही भावपूर्ण था।

शंशांक गोस्वामी प्रसाद स्वरूप भक्तों पर गुलाल डाल रहे थे तो दूसरी ओर भक्त जमकर ठाकुर से खेल रहे थे होली

एक ओर मंदिर के जगमोहन से सेवायत शंशांक गोस्वामी प्रसाद स्वरूप भक्तों पर गुलाल डाल रहे थे तो दूसरी ओर भक्त जमकर ठाकुर से होली खेल रहे थे। यही क्रम वृन्दावन के सप्त देवालयों राधारमण, राधाश्यामसुन्दर, राधा दामोदर, गोपीनाथ आदि में जारी रहा। कुल मिलाकर ऐसा लग रहा था जैसे भक्ति होली के रंग से सराबोर होकर ठाकुर के सामने नृत्य कर रही है।

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