रायपुर: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छत्तीसगढ़ में रेप के दोषी को जेल में रखने के मामले में राज्य सरकार को 7.50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसके अलावा मामले में लापरवाही के लिए दोषी अधिकारी पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है और छत्तीसगढ़ सरकार को उन्हें 7.50 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी रेप के दोषी को सात साल की जगह 10 साल से ज्यादा जेल में बिताने पड़े है।
अंबिकापुर सेंट्रल जेल के पूर्व जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड ने बताया कि दोषी की सजा कम करने का जो दस्तावेज अंबिकापुर सेंट्रल जेल ना जाकर जशपुर चला गया, जिस कारण अंबिकापुर के जेल अधीक्षक और कर्मियों को इसकी सूचना नहीं मिली तो कैदी भोला कुमार को अतिरिक्त सजा काटनी पड़ी। इसमें अगर उन्हें दस्तावेज मिल गए होते तो पूर्व में बंदी को सजा नहीं काटनी पड़ती।
पूर्व जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड ने बताया कि कैदी को सरकार की तरफ से मुआवजा भी दिया जाएगा, जबकि अभी के तत्कालीन जेल अधीक्षक आरआर मतलाभ को महज कुछ दिन ही जेल अधीक्षक का प्रभार संभाले दिन हुए हैं। इस विषय में ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। यह 3 महीने पहले की घटना है और बंदी को 12 साल की सजा हुई थी।
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इसके बाद बंदी ने इसकी अपील हाईकोर्ट में कि हाईकोर्ट से उसे उसकी सजा को 7 साल कर दिया गया था, जो पहले 12 साल था और हाईकोर्ट से वह दस्तावेज जशपुर न्यायालय चला गया, जिसमें बंदी की सजा माफी की जानकारी थी। हाई कोर्ट ने 19 जुलाई 2018 को उसे दुष्कर्म के लिए दोषी ठहराया था। इसके साथ ही उसकी आजीवन कारावास यानि 12 साल की सजा को कम कर 7 साल कर दिया था, लेकिन, हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उसे 10 साल से अधिक समय जेल में बिताना पड़ा।