वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज्ञानवापी (Gyanvapi) मामले की प्रारंभिक सुनवाई करने वाले न्यायाधीश (Judge) रवि कुमार दिवाकर (Ravi Kumar Diwakar) को अब तक अनजान एक मुस्लिम संगठन की ओर से मंगलवार को धमकी भरा पत्र मिला है। वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने इस पत्र के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव (गृह) को सूचित कर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। दिवाकर ने हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी सहित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन पूजन करने की अनुमति संबंधी अर्जी पर ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियोग्राफी सर्वे का आदेश दिया था। सर्वे के बाद उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर यह मामला वाराणसी जिला जज (Judge) को हस्तांतरित कर दिया गया था।
दिवाकर की अदालत में हुयी प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजूखाने में एक कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था जिसे इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने नकारते हुए कहा था कि यह फव्वारा है। दिवाकर ने पत्र लिखकर राज्य सरकार को बताया कि उन्हें 07 जून काे ‘इस्लामिक आगाज मूवमेंट’ नामक संगठन की ओर से धमकी भरा पत्र मिला है। दिवाकर ने इसे शासन के संज्ञान में लाते हुए इस पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
दिवाकर ने पत्र में बताया कि उक्त संगठन का खुद को अध्यक्ष बताते हुए काशिफ अहमद सिद्दिकी नामक व्यक्ति ने संगठन के लेटर पेड पर हाथ से लिखा पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली के पते से चार जून को भेजे गये इस पत्र में आरोप लगाया गया है, “वर्तमान विभाजित भारत की घृणा भरी राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण में अब न्यायाधीश भी केसरिया भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं। फैसला उग्रवादी हिंदुआें और उनके तमाम संगठनों को प्रसन्न करने के लिये सुनाते हैं और ठीकरा विभाजित भारत के मुसलमानों पर फोड़ते हैं।”
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दिवाकर ने पत्र में कहा कि उक्त व्यक्ति ने उन्हें काफिर बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) हिंदू न्यायाधीश करार देते हुए लिखा है कि कोई भी काफिर मूर्तिपूजक हिंदू जज से मुसलमान सही फैसले की आशा नहीं कर सकते हैं। पत्र लिखने वाले ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को भी उग्रवादी हिंदू संगठन बताते हुए आरोप लगाया है कि आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठन गुजरात की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में दंगा कराने की साजिश रच रहे हैं।
दिवाकर ने अपर मुख्य सचिव (गृह) को बताया कि ज्ञानवापी मामले से जुड़े मुकदमे, राखी सिंह आदि बनाम उप्र सरकार आदि की सुनवायी उन्हाेंने की है, अत: इस संबंध में उचित कार्रवाई करने का कष्ट करें। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उप्र सरकार ने दिवाकर का पत्र मिलने के बाद उनकी सुरक्षा की समीक्षा प्रारंभ कर दी है। दिवाकर नौ पुलिसकर्मियों का सुरक्षा घेरा पहले ही मुहैया कराया जा चुका है।