देहरादून। उत्तराखंड में शुक्रवार को तड़के साढ़े चार बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिये गये। इस मौके पर बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी, धर्माधिकारी तथा अन्य पूजा स्थलों से जुड़े 11 लोग मौजूद रहे।
भगवान बदरीनाथ के कपाट को ज्येष्ठ माह, कृष्ण अष्टमी तिथि, कुंभ राशि धनिष्ठा नक्षत्र, ऐंद्रधाता योग के शुभ मुहूर्त पर खोला गया
बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर लागू लॉकडाउन की वजह से इतिहास में पहली बार कपाट खुलते समय श्रद्धालु मौजूद नहीं थे। भगवान बदरीनाथ के कपाट को ज्येष्ठ माह, कृष्ण अष्टमी तिथि, कुंभ राशि धनिष्ठा नक्षत्र, ऐंद्रधाता योग के शुभ मुहूर्त पर खोला गया। इस अवसर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हुआ और मास्क पहने गए। इस बार भगवान बदरीनाथ के कपाट खुलते समय सेना के बैंड की सुमधुर ध्वनि, भक्तों का हुजूम, भजन मंडलियों की स्वर लहरियां सुनायी नहीं दी।
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तड़के तीन बजे से बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी
तड़के तीन बजे से बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी, सेवादार -हक हकूकधारी मंदिर परिसर के निकट पहुंचे। कुबेर जी बामणी गांव से बदरीनाथ मंदिर परिसर में पहुंचे तो रावल एवं डिमरी हक हकूकधारी भगवान के सखा उद्धव जी एवं गाडू घड़ा तेल कलश लेकर द्वार पर पूजा हेतु पहुंचे।
इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ द्वार पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। फिर प्रात: चार बजकर 30 मिनट पर श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा धाम के कपाट खोले गए। इसके बाद श्री रावल ने माता लक्ष्मी जी को मंदिर के गर्भ गृह से मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर में रखा। साथ ही श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी बदरीश पंचायत के साथ विराजमान हो गए।