उम्र बढ़ने के साथ साथ टीनएजर्स की अपनी समस्याएं होती हैं,जिन्हें वह अक्सर अपने पैरेंट्स के साथ शेयर नहीं कर पाते है मगर अपने दोस्तों से हर तरह की बात आसानी से शेयर कर लेते हैं। शायद इसीलिए कहा गया है कि जब बच्चे बड़े होने लगें तो माता-पिता को उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए।
माता-पिता को हमेशा अपने बच्चों का दोस्त बनकर रहना चाहिए। जिससे बच्चे अपनी हर बात अपने माता- पिता से आसानी से कर सके। इससे बच्चों और माता-पिता के बीच कम्युनिकेशन करना काफी आसान हो जाता है।
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बच्चे अपने मन की बात अपने पैरेंट्स से बिना झिझक के कह पाते हैं। वहीं पैरेंट्स भी बच्चों के साथ अपनी बातें शेयर कर सकते हैं। दोस्त बन कर बच्चों को समझाना कहीं आसान होता है। आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय की कमी है। ऐसे में यह कमी रिश्तों को भी किसी न किसी तरह प्रभावित कर रही है। बच्चे चाहते हैं कि पैरेंट्स उनके साथ रहें, उनसे बात करें। मगर पैरेंट्स अपनी काम और जिम्मेदारियों के बीच बच्चों को समय नहीं दे पाते है जिससे रिश्तों में एक तरह की दूरी आने लगती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों के साथ कुछ समय बिताना बहुत जरूरी है।
बच्चों को यह एहसास न होने पाए कि आप उन पर हर बात के लिए पाबंदियां लगाते हैं, इससे बच्चे विद्रोही स्वभाव के होने लगेंगे। इसलिए बच्चों के साथ दोस्ताना रवैया अपनाए। बढ़ती उम्र के बच्चों को आपकी ओर से फ्रीडम मिलेगी तो वह आपके ज्यादा करीब आएंगे।
बच्चों को आपके व्यवहार से यह नहीं लगना चाहिए कि पैरेंट्स हर समय उन्हें उपदेश देते रहते हैं कि यह करो, यह मत करो। वहां मत जाओ,यह ठीक नहीं है आदि। उन्हें दोस्त बन कर समझाने की कोशिश करें कि क्या सही है और क्या गलत। ऐसे में वे हर बात आपसे शेयर भी करेंगे और मानेंगे भी।